पाकिस्तान की शीर्ष अदालत में इस्लाम विरोधी ताकतों के खिलाफ फैसले लेने का साहस: टीटीपी
पेशावर प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) ने कहा है कि पाकिस्तान की शीर्ष अदालत में देश में इस्लाम विरोधी ताकतों के खिलाफ फैसले लेने का साहस है और सैन्य अदालतों में आम नागरिकों के खिलाफ मुकदमों पर उच्चतम न्यायालय का फैसला उसके सदस्यों की रिहाई में मददगार साबित होगा जो इस तरह के मुकदमों का सामना कर रहे हैं। पढ़िए डाईनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
पेशावर: प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) ने कहा है कि पाकिस्तान की शीर्ष अदालत में देश में इस्लाम विरोधी ताकतों के खिलाफ फैसले लेने का साहस है और सैन्य अदालतों में आम नागरिकों के खिलाफ मुकदमों पर उच्चतम न्यायालय का फैसला उसके सदस्यों की रिहाई में मददगार साबित होगा जो इस तरह के मुकदमों का सामना कर रहे हैं।
टीटीपी के प्रवक्ता मोहम्मद खुरासानी ने सोशल मीडिया पर रविवार को जारी एक बयान में कहा कि न्यायालय के आदेश से सामने आया है कि पाकिस्तान की शीर्ष अदालत में देश में इस्लाम विरोधी ताकतों के खिलाफ फैसले लेने का साहस है।
पाकिस्तान उच्चतम न्यायालय ने 23 अक्टूबर को अपने फैसले में देश में नौ मई को हुए हिंसक विरोध प्रदर्शनों के बाद गिरफ्तार किए गए आम नागरिकों के खिलाफ सैन्य अदालतों में मुकदमों की सुनवाई को ‘‘अमान्य’’ घोषित कर दिया था और अधिकारियों को सामान्य अदालतों में इन मुकदमों की सुनवाई करने का आदेश दिया था।
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उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश इजाजुल अहसन के नेतृत्व वाली पांच सदस्यीय पीठ ने अपने संक्षिप्त फैसले में आदेश दिया था कि सेना अधिनियम के तहत गिरफ्तार 102 आरोपियों पर आपराधिक अदालत में मुकदमा चलाया जाए।
शीर्ष अदालत ने कहा था कि सैन्य अदालत में किसी भी आम नागरिक के खिलाफ मुकदमे को ‘‘अमान्य’’ घोषित कर दिया गया है।
बयान में खुरासानी ने कहा कि सैन्य अदालतों में नागरिकों पर मुकदमे के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का सर्वसम्मत फैसला टीटीपी के लिए फायदेमंद है।
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उन्होंने कहा कि इस फैसले ने साबित कर दिया कि सैन्य अदालतों द्वारा टीटीपी कार्यकर्ताओं को दी गई सजाएं ‘‘पक्षपातपूर्ण और अवैध’’ थीं।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार बयान के अनुसार, ‘‘टीटीपी देश में इस्लामी व्यवस्था लागू करने के अपने संघर्ष के दौरान सैन्य अदालतों के अन्याय का शिकार बनी रही क्योंकि उसके कई लोगों को सैन्य अदालतों द्वारा कठोर कारावास की सजा सुनाई गई थी।’’
बयान में कहा गया है कि उच्चतम न्यायालय के फैसले ने साबित कर दिया है कि पाकिस्तान की शीर्ष अदालत में देश में इस्लाम विरोधी ताकतों के खिलाफ फैसले लेने का साहस है।