

एक समय महान तेज गेंदबाज वसीम अकरम ने उन्हें काफी प्रतिभाशाली करार दिया था लेकिन पाकिस्तान की 18 वर्ष की उसी क्रिकेटर आयशा नसीम ने इस्लाम की सेवा के लिये अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह दिया ।
कराची: एक समय महान तेज गेंदबाज वसीम अकरम ने उन्हें काफी प्रतिभाशाली करार दिया था लेकिन पाकिस्तान की 18 वर्ष की उसी क्रिकेटर आयशा नसीम ने इस्लाम की सेवा के लिये अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह दिया ।
आक्रामक बल्लेबाज आयशा ने उस उम्र में खेल से नाता तोड़ा जब अधिकांश खिलाड़ी कैरियर की शुरूआत करते हैं । पाकिस्तानी महिला टीम की कप्तान निदा दार और पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने उन्हें मनाने की काफी कोशिशें की जो नाकाम रहीं ।
बोर्ड के एक सूत्र ने पुष्टि की कि आयशा ने पीसीबी को फरवरी मार्च में ही सूचित कर दिया था कि वह क्रिकेट खेलना छोड़ चुकी है ।
सूत्र ने कहा ,‘‘उसे ट्रेनिंग शिविर के लिये बुलाया गया था लेकिन उसने बोर्ड से कहा कि वह क्रिकेट खेलना नहीं चाहती ।’’
उन्होंने कहा कि आयशा ने साफ तौर पर कहा कि यह उसका निजी फैसला है और वह इस्लाम के सिद्धांतों के हिसाब से अपनी जिंदगी जीना चाहती है ।
सूत्र ने कहा ,‘‘निदा दार और कुछ पाकिस्तानी खिलाड़ियों ने उसे मनाने की कोशिश की कि वह खेलते हुए भी अच्छी मुसलमान बनी रह सकती है लेकिन आयशा ने अपने फैसले पर पुनर्विचार से इनकार कर दिया ।’’
आयशा ने पाकिस्तान के लिये चार वनडे और 30 टी20 मैच खेले हैं ।
रूढिवादी परिवार से ताल्लुक रखने वाली आयशा के बारे में एक सूत्र ने बताया कि उसे क्रिकेट खेलने की इजाजत बहुत मुश्किल से मिली थी और पाकिस्तानी टीम के साथ दौरा करने पर घर में उसे परेशानियां आने लगी ।
उन्होंने कहा ,‘‘आखिरकार उसने क्रिकेट छोड़कर इस्लाम के सिद्धांतों के अनुरूप एक मुकम्मल मुसलमान के तौर पर जीने का फैसला किया ।’’
इससे पहले पाकिस्तान के पुरूष क्रिकेटर सईद अनवर, इंजमाम उल हक, मोहम्मद युसूफ, सकलेन मुश्ताक और मुश्ताक अहमद भी मजहब की ओर मुड़े थे लेकिन अनवर ने 2002 में अपनी बेटी की मौत के बाद क्रिकेट खेलना छोड़ दिया था ।
इंजमाम, युसूफ, मुश्ताक और सकलेन तबलीगी जमात से जुड़ने के बाद भी क्रिकेट से जुड़े रहे हैं ।
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