ओडिशा के कलाकार का बड़ा कमाल, लकड़ी के तख्त पर उकेर डाली पूरी हनुमान चालीसा
ओडिशा के गंजाम जिले में एक कलाकार ने 22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा के उपलक्ष्य पर लकड़ी के तख्त पर ‘हनुमान चालीसा’ उकेरी है। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
बेरहामपुर: ओडिशा(Odisha) के गंजाम जिले में एक कलाकार ने 22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा के उपलक्ष्य पर लकड़ी के तख्त पर ‘हनुमान चालीसा’ उकेरी है।
वह इसे नवनिर्मित राम मंदिर में लगाये जाने के लिए प्रस्तुत करना चाहते हैं।
जिले के हिंजिली शहर के पास कंचुरू गांव के अरुण साहू (35) ने भगवान हनुमान की छवि की नक्काशी करने के साथ 5.6 फुट ऊंची और 30 इंच के लकड़ी के फ्रेम में हुनमान चालीसा उकेरी है। हिंदी भाषा में अक्षरों को ‘गमबरी’ लकड़ी पर उकेरी गई है और इन्हें दो इंच मोटी लकड़ी के फ्रेम पर चिपकाया गया है। उन्होंने इसका इस तरह से रंगरोगन भी किया है कि यह लंबे समय तक टिक सके।
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युवाओं को प्रशिक्षित करने के लिए साहू यहां एक संस्थान भी चलाते हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें लकड़ी पर नक्काशी को पूरा करने में लगभग एक महीने का समय लगा। उनके कुछ छात्रों ने अक्षरों को उकेरने और चालीसा के 40 छंदों या ‘दोहों’ का रूप देने के लिए उन्हें चिपकाने में मदद की है।
उन्होंने कहा, ‘‘देश के अधिकतर राम मंदिरों में आमतौर पर हनुमान चालीसा का पाठ किया जाता है। मैंने इस भजन को एक अलग तरीके से बनाने और इसे नवनिर्मित मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के बाद देने का फैसला किया है। मंदिर में इसे स्थापित करने की आवश्यकता है, जहां श्रद्धालु इसका जाप कर सकें।’’
हालांकि, उन्हें आधिकारिक तौर पर प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने के लिए आमंत्रित नहीं किया गया है। उन्होंने कहा, ‘‘अगर आमंत्रित किया गया तो मैं जाऊंगा। अन्यथा, मैं मंदिर के उद्घाटन के कुछ दिनों बाद अयोध्या जाऊंगा और हनुमान चालीसा का लकड़ी का फ्रेम भेंट करूंगा।’’
साहू ने खुद को हनुमान भक्त भी बताया।
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इससे पहले, साहू ने हनुमान चालीसा एक पुस्तक के प्रारूप में लकड़ी पर उकेरी थी।
साहू ने कहा, ‘‘अगर मुझे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मिलने का मौका मिलता है तो उन्हें भेंट करने के लिए मैंने यह किताब संरक्षित की है।’’
साहू ने इससे पहले मुख्यमंत्री नवीन पटनायक को लकड़ी पर उकेरी गई उनकी एक तस्वीर भेंट की थी। कुछ महीने पहले पटनायक जब अपने निर्वाचन क्षेत्र हिंजिली के दौरे पर आए थे, उस समय उन्होंने उनकी तस्वीर उकेरी थी।