समलैंगिकता पर सुप्रीम फैसला, दो बालिगों के बीच अप्राकृतिक संबंध अपराध नहीं

समलैंगिक संबंध अपराध है या नहीं.. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला दिया है। देश की सर्वोच्च अदालत ने कहा कि समलैंगिकता को अपराध नहीं माना जाए क्योंकि समलैंगिकों को भी सम्मान के साथ जीवन जीने का पूरा अधिकार है। डाइनामाइट न्यूज़ की स्पेशल रिपोर्ट

Post Published By: डीएन ब्यूरो
Updated : 6 September 2018, 12:17 PM IST

नई दिल्ली: समलैंगिक संबंध अब अपराध नहीं माने जाएंगे। समलैंगिक संबंधों को लेकर लंबे समय से चली आ रही बहस को विराम देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा दो व्यस्क लोगों के बीच अप्राकृतिक संबंध जायज है और समलैंगिकों को भी सम्मान के साथ जीवन जीने का पूरा अधिकार है।

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चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने एक मत से इस पर फैसला सुनाते हुए दो बालिगों के बीच सहमति से बनाए गए समलैंगिक संबंधों को अपराध मानने वाली धारा 377 के प्रावधान को खत्म कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों की बेंच ने आईपीसी की धारा 377 की संवैधानिक वैधता पर अपना फैसला सुनाते हुए समलैंगिकता को अपराध के दायरे से बाहर बताया।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा प्रत्येक व्यक्ति को गरिमा से जीने का अधिकार है, सेक्सुअल रुझान प्राकृतिक है। इस आधार पर भेद भाव नहीं हो सकता। हर व्यक्ति को गरिमा से जीने का हक है। सेक्सुअल रुझान प्राकृतिक है। इस आधार पर भेद भाव नहीं हो सकता। निजता का अधिकार मौलिक अधिकार है, धारा 377 इसका हनन करता है। 

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  • 6 September 2018, 12:17 PM IST