नई दिल्ली: YouTube ने अपने प्लेटफॉर्म पर कंटेंट क्रिएटर्स के लिए एक बेहतरीन और उपयोगी सुविधा की घोषणा की है, जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) पर आधारित है। इस नए फीचर के तहत अब YouTube क्रिएटर्स अपने वीडियो के लिए खुद का कस्टम इंस्ट्रुमेंटल म्यूजिक जनरेट कर सकेंगे। यह सुविधा उन क्रिएटर्स के लिए बेहद उपयोगी साबित हो सकती है जो अपने कंटेंट को यूनिक और कॉपीराइट-फ्री म्यूजिक के साथ पेश करना चाहते हैं।
यह नई सेवा YouTube Studio के Creator Music टैब का हिस्सा है और इसे सभी क्रिएटर्स के लिए मुफ्त में उपलब्ध कराया जा रहा है। हालांकि, यह फीचर अभी धीरे-धीरे प्लेटफॉर्म पर रोलआउट किया जा रहा है, इसलिए संभव है कि सभी यूज़र्स को इसे एक्सेस करने में कुछ दिन लगें।
क्या है YouTube का AI म्यूजिक जनरेशन फीचर?
YouTube ने इस फीचर की जानकारी अपने ऑफिशियल Creator Insider चैनल पर एक वीडियो के माध्यम से साझा की है। इस टूल का मुख्य उद्देश्य है कि क्रिएटर्स को ज्यादा वैरायटी वाला और बेहतर क्वालिटी का इंस्ट्रुमेंटल म्यूजिक प्रदान किया जाए, जिसे वे बिना कॉपीराइट की चिंता किए अपने वीडियो में इस्तेमाल कर सकें।
Creator Music टैब में हुआ बड़ा बदलाव
Creator Music टैब पहले से ही यूज़र्स को कॉपीराइट-फ्री म्यूजिक उपलब्ध कराता है, जिसमें यूज़र genre, mood, vocals, BPM, duration आदि के आधार पर ट्रैक्स सर्च कर सकते हैं। हालांकि, इसमें कुछ म्यूजिक ट्रैक्स के लिए भुगतान भी करना पड़ता था।
अब इसी टैब में एक नया AI-आधारित सेक्शन जोड़ा गया है, जिसे "Music Assistant" नाम दिया गया है। इस सेक्शन में यूज़र एक टेक्स्ट बॉक्स में यह लिखकर बता सकते हैं कि उन्हें किस तरह का म्यूजिक चाहिए – जैसे वीडियो का विषय, मूड, बीट्स की लंबाई, इमोशन्स आदि।
इस सेक्शन को आप Gemini स्पार्कल आइकन के ज़रिए पहचान सकते हैं, जो इस फीचर को AI से जोड़ता है।
कैसे काम करता है यह AI टूल?
इस AI टूल में यूज़र को एक प्रॉम्प्ट यानी टेक्स्ट इनपुट देना होता है। जिसमें वे अपनी म्यूजिक जरूरतों को विस्तार से बता सकते हैं। उदाहरण के लिए, कोई यूज़र यह इनपुट दे सकता है – "सॉफ्ट, मोटिवेशनल बैकग्राउंड म्यूजिक, 60 सेकंड लंबा"। AI सिस्टम उस इनपुट के आधार पर एक इंस्ट्रुमेंटल म्यूजिक ट्रैक जनरेट करता है, जिसे क्रिएटर अपने वीडियो में उपयोग कर सकता है।
डेटा स्टोरेज और प्राइवेसी से जुड़ी बातें
YouTube ने स्पष्ट किया है कि जो भी यूज़र प्रॉम्प्ट इस टूल में डालेंगे। उन्हें 30 दिनों तक YouTube के सर्वर पर स्टोर किया जाएगा। इसका मकसद है AI सिस्टम को बेहतर बनाना और यूज़र अनुभव को अधिक सटीक बनाना। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि यह AI टूल किस मॉडल पर आधारित है, लेकिन इसे Google के Gemini इकोसिस्टम से जुड़ा माना जा रहा है।

