#ParakramDiwas: नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती आज, पराक्रम दिवस पर जानिये नेताजी से जुड़ी कुछ बड़ी बातें

डीएन ब्यूरो

आज महान स्वतंत्रता संग्राम सैनानी और आजद हिंद फौज के संस्थापक नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती है। कृतज्ञ राष्ट्र आज नेताजी के पराक्रम को याद कर रहा है। जानिये उनसे जुड़ी कुछ खास बातें

नेताजी सुभाष चंद्र बोस (फाइल फोटो)
नेताजी सुभाष चंद्र बोस (फाइल फोटो)


नई दिल्ली: अपने क्रांतिकारी तेवरों से ब्रिटिश राज को हिलाकर रख देने वाले और आजद हिंद फौज के संस्थापक नेताजी सुभाष चंद्र बोस की आज 125वीं जयंती है। कृतज्ञ राष्ट्र आज नेताजी के पराक्रम को याद कर रहा है और उन्हें श्रद्धांजलि दे रहा है। देश में उनकी जयंती को आज पराक्रम दिवस के रूप में मनाया जा रहा है।

नेताजी की जयंती पर जानिये उनके बारे में कुछ खास बातें

नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 को ओडिशा, बंगाल डिविजन के कटक में हुआ था। उनके पिता का नाम जानकीनाथ बोस और मां का नाम प्रभावती था। जानकीनाथ बोस कटक शहर के मशहूर वकील थे। 

सुभाष चंद्र बोस अपनी माता-पिता की 9वीं संतान और 5वें बेटे थे। प्रभावती और जानकीनाथ बोस की कुल मिलाकर 14 संतानें थी, जिसमें 6 बेटियां और 8 बेटे थे।

नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 को ओडिशा, बंगाल डिविजन के कटक में हुआ था। उनके पिता का नाम जानकीनाथ बोस और मां का नाम प्रभावती था। जानकीनाथ बोस कटक शहर के मशहूर वकील थे। 

सुभाष चंद्र बोस अपनी माता-पिता की 9वीं संतान और 5वें बेटे थे। प्रभावती और जानकीनाथ बोस की कुल मिलाकर 14 संतानें थी, जिसमें 6 बेटियां और 8 बेटे थे। 

नेताजी की शिक्षा कोलकाता के प्रेजीडेंसी कॉलेज और स्कॉटिश चर्च कॉलेज से हुई। इसके बाद वह भारतीय प्रशासनिक सेवा (इंडियन सिविल सर्विस) की तैयारी के लिए इंग्लैंड के केंब्रिज विश्वविद्यालय चले गये।

नेताजी ने 1920 में इंग्लैंड में सिविल सर्विस परीक्षा पास की लेकिन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लेने के लिए उनकों नौकरी पसंद नही थी।

बिट्रिश राज में सिविल सर्विस की नौकरी छोड़ने के बाद वह देश को आजाद कराने के लिए भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के साथ जुड़े। जलियांवाला बाग हत्याकांड की घटना से वह काफी विचलित हुए और उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ सीधी लड़ाई लड़ने का ऐलान किया।

नेताजी का मानना था कि अंग्रेजों को भारत से खदेड़ने के लिए सशक्त क्रांति की आवश्यकता है, वह गांधी के अहिंसक आंदोलन से अलग सीधी लड़ाई से आजादी हासिल करना चाहते थे और अंग्रेजों को उनकी रणनीति के जरिये खदेड़ना चाहते थे।

भारत को आजादी दिलाने और अंग्रेजों से सीधा लोहा लेने के लिए नेताजी ने 21 अक्टूबर 1943 को 'आजाद हिंद फौज' का गठन किया। 


1921 से 1941 के दौरान वो पूर्ण स्वराज के लिए कई बार जेल भी गए थे। उन्होंने सोवियत संघ, नाजी जर्मनी, जापान जैसे देशों की यात्रा की और ब्रिटिश सरकार के खिलाफ सहयोग मांगा। 

उन्होंने आजाद हिंद रेडियो स्टेशन जर्मनी में शुरू किया और पूर्वी एशिया में भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन का नेतृत्व किया। 

माना जाता है कि 18 अगस्त, 1945 को ताइपेई में हुई एक विमान दुर्घटना के बाद नेताजी लापता हो गए थे। उनकी मौत के रहस्य को सुलझाने के लिये कई आयोग भी गठित  हुए। सभी ने अपना अलग-अलग रिपोर्ट सौंपी।

न्यायमूर्ति एमके मुखर्जी की अध्यक्षता वाले जांच आयोग का दावा था कि घटना के बाद नेताजी जीवित थे।

नेताजी भले ही आज हमारे बीच न हों, लेकिन देश की आजादी के लिये उनके द्वारा किये गये त्यागा, पराक्रम और लड़ी गयी लड़ाई के जरिये वे हमेशा हमारे दिलों में जीवित रहेंगे। 










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