Navratri: जानिए नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा का महत्व

आज बुधवार को शारदीय नवरात्रि का सातवां दिन है। आज के दिन मां कालरात्रि की पूजा होती है। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

Post Published By: डीएन ब्यूरो
Updated : 9 October 2024, 10:30 AM IST
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नई दिल्ली: आज शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri) का सातवां दिन (Seventh Day) है। मां दुर्गा (Maa Durga) का सातवां स्वरूप मां कालरात्रि हैं। आज मां कालरात्रि (Maa Kalratri) की पूजा-अर्चना (Worshipped) की जाती है। मां के शरीर का रंग बिल्कुल काला (Black) है। ये दिखने में अति भयावह प्रतीत होती हैं।

 'कालरात्रि' नाम का अर्थ है अंधेरी रात। कालरात्रि क्रोध में विकराल रूप धारण कर लेती हैं। काले रंग और बिखरे बालों के साथ, वह अंधकार का प्रतिनिधित्व करती हैं। उनके गले में एक चमकदार मुंड माला है, जो बिजली जैसी दिखती है। कालरात्रि सभी बुरी शक्तियों का नाश करती हैं और अपने भक्तों की रक्षा करती हैं। 

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा अर्चना की जाती है। इस दिन जो भी भक्त देवी कालरात्रि की पूजा करता है, उसे अकाल मृत्यु का खतरा नहीं रहता। समस्त दुख ताप, विध्न, दुष्ट दानव भूत–प्रेत समाप्त हो जाते हैं। किसी भी प्रकार की पीड़ा समाप्त हो जाती है।

मां दुर्गा का सातवां स्वरूप

जानकारी के अनुसार देवी कालरात्रि को मां दुर्गा के नौ अवतारों में बहुत ही क्रोधी देवी माना जाता है क्योंकि जब-जब धरती पर पाप बढ़ जाता है, तो देवी कालरात्रि का अवतार लेकर पापियों का संहार करने के लिए आती हैं। देवी कालरात्रि को अंधकार की देवी भी कहा जाता है लेकिन देवी कालरात्रि केवल दुष्टों का ही संहार करती हैं। अपने भक्तों और अच्छे मनुष्यों पर देवी कालरात्रि की कृपा हमेशा बनी रहती है। 

माता कालरात्रि की पूजा का महत्व
माता कालरात्रि की पूजा करने से भक्तों के जीवन से भय का नाश होता है। साथ ही भक्त पराक्रमी और साहसी बनते हैं। कालरात्रि की पूजा करने से समस्याओं से लड़ने की अद्भुत क्षमता का विकास होता है।

महासप्तमी पर माता कालरात्रि की पूजा का विशेष महत्व होता है। कालरात्रि की कृपा से भक्तों के सभी शत्रुओं का नाश होता है और वे विजय पथ पर आगे बढ़ते रहते हैं।

नवरात्रि के 7वें दिन मां कालरात्रि की पूजा विधि 
नवरात्रि में 7वें दिन मां कालरात्रि की पूजा करने के लिए सुबह उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं। इसके बाद माता कालरात्रि की पूजा के लिए चौकी सजाएं। माता की तस्वीर पर काले रंग की चुन्नी चढ़ाएं।

इसके बाद मां कालरात्रि को रोली, अक्षत, दीप और धूप अर्पित करें। इसके बाद माता कालरात्रि को रात रानी का फूल चढ़ाएं। फिर गुड़ या गुड़ से बनी चीजों का भोग लगाएं। इसके बाद माता कालरात्रि पाठ, दुर्गा सप्तशती, दुर्गा चालीसा का पाठ करें। 

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