Navratri Kalash: जानिये नवरात्रि में कैसे किया जाता है दुर्गा मां का कलश स्थापित, जल्द पूरी होगी मनोकामना

रानी टिबड़ेवाल

घऱ में सुख शांति के लिए नवरात्र के पहले दिन मंदिरों और पंडालों के अलावा अपने-अपने घरों पर भी लोग शांति कलश की स्थापना करते हैं जिसे घट स्थापना और कलश स्थापना कहा जाता है। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

जानिये नवरात्रि में कैसे किया जाता है दुर्गा मां का कलश स्थापित
जानिये नवरात्रि में कैसे किया जाता है दुर्गा मां का कलश स्थापित


नई दिल्ली: रविवार 15 अक्टूबर से शरदीय नवरात्र का शुभारंभ हो रहा है। नवरात्र के पहले दिन मंदिरों और पंडालों के अलावा अपने-अपने घरों पर भी लोग शांति कलश की स्थापना करते हैं, जिसे घट स्थापना और कलश स्थापना कहा जाता है। डाइनामाइट न्यूज़ की इस रिपोर्ट में पढ़िये नवरात्रि में कैसे किया जाता है दुर्गा मां का कलश स्थापित और इस मौके पर किस मंत्र का होता है उच्चारण।

कलश स्थापना की विधि और मंत्र के लिए हम अपने पाठकों का यहां संपूर्ण और सरल विधि बताने जा रहे हैं। कलश स्थापना की इस संक्षिप्त विधि से आप अपने घर या मंदिर पर स्वयं कलश स्थापित कर सकते हैं।

कलश स्थापना से पहले आसन शुद्धि

नवरात्रि के खास मौके पर सर्वप्रथम आप स्नानादि से निवृत्त हो कर पूजा स्थल पर आएं और सभी श्रेष्ट जनों को कुल देवता, ग्राम देवता और इष्ट देवता पितरों को प्रणाम आदि करके अपने आसन पर बैठें। आचमन, प्राणायाम अंगन्यास करके मंत्रों द्वार शरीर मन की शुद्धि करें। इन सबके उपरांत पूजन प्रारम्भ करें।

कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, इस बार शारदीय नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि यानी 15 अक्टूबर 2023 को कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजकर 44 मिनट से शुरू होकर दोपहर 12 बजकर 30 मिनट तक रहेगा।

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कलश स्थापना वाले स्थान का शुद्धिकरण

कलश स्थापना से पहले कलश स्थापना वाले स्थान पर पहले गंगाजल के छींटे मारकर उस जगह को पवित्र कर लें। उस स्थान पर दो इंच तक मिट्टी में रेत और सप्तमृतिका मिलाएं। उसके बाद उसे एक समतल में बिछा लें।  


कलश स्थापना के नियम

1.  कलश स्थापना करते समय कलश के नीचे जौ या गेंहू रखना चाहिए। मिट्टी के कलश पर स्वास्तिक के निशान बनाकर उसमे कलावा बांधना चाहिए। कलश में ब्रह्मा, विष्णु और महेश वास करते हैं। फिर कलश पर सिंदूर का टीका लगाएं और गले में मौली लपेटें।  उसके बाद सात तरह के अनाज, धातु को कलश में डालकर उसमे गंगा जल भरकर उसे स्थापित करना चाहिए। इसके बाद नारियल पर कलावा के जरिए सिक्का बांधकर उसे कलश पर रखकर लाल चुनरी पहनानी चाहिए।

2  नवरात्रि में कलश को उत्तर पूर्व दिशा या 'ईशान' में स्थापित करें।  यह दिशा सबसे शुभ मानी जाती है क्योंकि इसका संबंध भगवान शिव से है।

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3. शास्त्रों में बिना जल के कलश स्थापित करना अशुभ माना गया है। इसी कारण से पूजा के लिए कलश पर जल, पान के पत्ते, आम के पत्ते, केसर, अक्षत, कुमकुम, दूर्वा-कुश, सुपारी, फूल, कपास, नारियल, अनाज आदि रखे जाते हैं।

4  नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना विधि करने के दौरान निम्म दिये गये मंत्र का जाप जरूर करें। साथ ही जिस स्थान पर कलश बैठा रहे हैं, उस स्थान को दाएं हाथ से स्पर्श करते हुए इस मंत्र को बोलें। 

कलश स्थापना का मंत्र

ओम भूरसि भूमिरस्यदितिरसि विश्वधाया विश्वस्य भुवनस्य धर्त्रीं।
पृथिवीं यच्छ पृथिवीं दृग्वंग ह पृथिवीं मा हि ग्वंग सीः।।

घर-परिवार में धन, समृद्धि, आरोग्य और सौभाग्य को बढ़ाने के लिए विशेष रूप से कलश पूजन किया जाता है।










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