Navratri 2024: इस मंदिर में मिला था पांडवों को जीत का आशीर्वाद, जानिये खास बातें
महराजगंज में नवरात्रि की तैयारियां अंतिम चरण में हैं। फरेंदा क्षेत्र में स्थित शक्तिपीठ लेहड़ा देवी मंदिर में श्रद्धालु दूर-दूर से दर्शन करने के लिए आते हैं। डाइनामाइट न्यूज़ की इस रिपोर्ट में पढ़ें मंदिर से जुड़ी खास बातें
फरेंदा (महराजगंज): जनपद के फरेंदा (Farenda) क्षेत्र में स्थित शक्तिपीठ लेहड़ा देवी मंदिर (Lehra Devi Temple) में नवरात्रि (Navratri) की तैयारियां जोरो-शोरों पर हैं। शक्तिपीठ होने की वजह से लेहड़ा मंदिर में नवरात्रि पर श्रद्धालुओं (Devotees) की भीड़ देखते बनती है। यह मंदिर भक्तों की आस्था का विशेष केंद्र है। मां के दर्शन के लिए के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक मंदिर में पूरे साल भक्तों का तांता लगा रहता है। लेकिन नवरात्रि में विशेष पूजन के लिए लोग दूर-दूर से मां के दर्शन के लिए आते हैं।
ये है मंदिर की पौराणिक कथा
फरेन्दा तहसील मुख्यालय से आठ किमी दूर स्थित लेहड़ा देवी मंदिर के संबंध में कई किवदंतियां है। पौराणिक मान्यता है कि इस मंदिर की स्थापना पांडवों ने अज्ञातवास के समय की थी। उस समय द्रौपदी ने मां से आंचल फैलाकर आशीर्वाद मांगा था, जिससे उन्हें विजयी होने का आशीर्वाद प्राप्त हुआ था। इसके अलावा यह भी मान्यता है कि धर्मराज युधिष्ठिर ने इसी स्थान पर यक्ष के प्रश्नों का सही उत्तर देकर अपने चारों भाइयों को पुनर्जीवित किया था। बाद में पांचों भाइयों ने यहां पीठ की स्थापना कर पूजा अर्चना शुरू की।
चीनी यात्री ने किया उल्लेख
यदि बात की जाए ऐतिहासिक तथ्यों की तो चीनी यात्री ह्वेन सांग ने भी अपने यात्रा वृत्तांत में इस देवी स्थल का उल्लेख किया है। गौतम बुद्ध की माता माया देवी कोलिय गणराज्य की कन्या थीं। बुद्ध का बाल्यकाल इन्हीं क्षेत्रों में व्यतीत हुआ।
यह भी पढ़ें |
महराजगंजः फ़रेंदा के विधायक बजरंग बहादुर सिंह पहुँचे दुर्गा पूजा पांडाल
अंग्रेजों ने किया था हमला
बुजुर्गो की मानें तो एक दिन लेहड़ा स्थित सैन्य छावनी के अधिकारी (लंगड़ा साहब) शिकार खेलते हुए मंदिर परिसर में पहुंच गए। यहां पर भक्तों की भीड़ देख कर उन्होंने देवी की पिण्डी पर गोलियों की बौछार शुरू कर दी। कुछ ही देर में वहां खून की धारा बहने लगी। खून देख कर भयभीत अंग्रेज अफसर वापस कोठी की तरफ आ रहे थे कि घोड़े सहित उनकी मृत्यु हो गई। उस अंग्रेज अफसर की कब्र मंदिर के एक किमी पश्चिम में स्थित है। इस घटना के बाद लोगों की आस्था लेहड़ा देवी के प्रति और बढ़ गई।