..और मुस्लमानों ने की गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने की मांग

डीएन संवाददाता

देश में गोरक्षा के नाम पर हिंसा की हालिया घटनाओं को हवाला देते हुए प्रमुख मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने आज कहा कि सरकार कानून बनाकर गाय को ‘राष्ट्रीय पशु’ घोषित करे ताकि गोहत्या रोकने के बहाने की जाने वाली हिंसा पर रोक लग सके

फ़ाइल फ़ोटो
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नयी दिल्ली: देश में गोरक्षा के नाम पर हिंसा की हालिया घटनाओं को हवाला देते हुए प्रमुख मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने आज कहा कि सरकार कानून बनाकर गाय को ‘राष्ट्रीय पशु’ घोषित करे ताकि गोहत्या रोकने के बहाने की जाने वाली हिंसा पर रोक लग सके और समाज में भाईचारा एवं शांति बरकरार रहे।

जमीयत प्रमुख मौलाना सैयद अरशद मदनी ने कहा, ‘‘जगह-जगह गौरक्षक लोगों पर हमले कर रहे हैं और कई बार तो हत्याएं भी कर दी जा रही हैं। यह सब गाय की रक्षा के नाम पर हो रहा है। ऐसा लग रहा है कि इन लोगों को कानून हाथ में लेने की छूट मिली हुई है और सरकारें भी कुछ कर नहीं रहीं।’’ 

उन्होंने कहा, ‘‘हम जानते हैं कि गाय के साथ धार्मिक भावना जुड़ी है और हम लोग हमेशा इसका सम्मान करते रहे हैं। जिस तरह से मोर को राष्ट्रीय पक्षी घोषित किया गया है उसी तरह कानून बनाकर गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित किया जाए। सरकार कानून बनाने के लिए आगे बढ़े। हम उसके साथ रहेंगे। ऐसा कदम उठाने से हिंसा पर रोक लग सकेगी और समाज में भाईचारा और शांति बनी रहेगी।’’ 

देश में तीन तलाक के मुद्दे पर चल रही बहस को लेकर मदनी ने कहा, ‘‘ऐसा नहीं है कि तलाक का मामला अचानक से सामने आ गया हैं। मुस्लिम समुदाय तो यहां सदियों से रहता आ रहा है। हमें लगता है कि तीन तलाक की आड़ में एक तरह का दुष्प्रचार चलाया जा रहा है। अगर कुछ बाते हैं जिनको दुरूस्त की जा सकती हैं तो वो मुस्लिम समुदाय के मजहबी रूप से जिम्मेदार लोगों के जरिए हो सकती हैं। सभी को यह समझना चाहिए कि यह सड़क का मुद्दा नहीं है। यह धार्मिक मामला है और इसमें धार्मिक लोग ही कोई पहल कर सकते हैं।’’ 

गौरतलब है कि मंगलवार को महमूद मदनी के नेतृत्व वाले जमीयत उलेमा-ए-हिंद के धड़े ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी जिसमें मोदी ने उनसे कहा था कि वे तीन तलाक के मामले पर राजनीति नहीं होने दें और मुस्लिम समुदाय के लोग इसे हल करने के लिए खुद पहल करें।

असम में नागरिकता मामले का हवाला देते हुए मदनी ने आरोप लगाया, ‘‘एक तरफ भारत सरकार नागरिकता अधिनियम में संशोधन लाकर विभिन्न देशों से आने वाले हिंदू नागरिकों को विशेषाधिकार दे रही है और दूसरी ओर विदेशी एवं बांग्लादेशी नागरिक होने के झूठे आरोप लगाकर भारतीय नागरिकों को निर्वासित करने का प्रयास किया जा रहा है। सरकार की तरफ से धर्म और भाषा के नाम पर पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाया जा रहा है।’’










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