Tortoise: कछुओं के बारे में ये खबर पढ़कर हैरान रह जायेंगे आप

डीएन ब्यूरो

ओडिशा के गंजाम जिले में ऋषिकुल्या नदी का मुहाना लुप्तप्राय ओलिव रिडले कछुओं से गुलजार हो गया है। रिकॉर्ड 6.37 लाख से अधिक कछुओं ने समुद्र तट पर अंडे दिए हैं। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर

(फाइल फोटो )
(फाइल फोटो )


बरहमपुर: ओडिशा के गंजाम जिले में ऋषिकुल्या नदी का मुहाना लुप्तप्राय ओलिव रिडले कछुओं से गुलजार हो गया है। रिकॉर्ड 6.37 लाख से अधिक कछुओं ने समुद्र तट पर अंडे दिए हैं। एक आधिकारिक सूत्र ने यह जानकारी दी।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार बरहमपुर के मंडलीय वन अधिकारी (डीएफओ) सन्नी खोक्कर ने बताया कि कछुओं ने 23 फरवरी से नदी के मुहाने के समीप पोडमपेटा से बाटेश्वर तक तीन किलोमीटर समुद्र तट पर जगह-जगह घोंसले बनाने शुरू किए और बृहस्पतिवार तक यह जारी था। इस दौरान 6,37,008 कछुओं ने अंडे दिए जो पिछले साल के मुकाबले 86,000 अधिक है।

डीएफओ ने दावा किया कि इस साल घोंसले बनाने के सभी रिकॉर्ड टूट गए हैं।

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सूत्रों ने बताया कि पिछले साल 5,50,317 कछुओं ने अंडे दिए थे जबकि 2018 में 4.82 लाख कछुओं ने अंडे दिए थे।

इस बार सामूहिक रूप से घोंसला बनाने की प्रक्रिया एक महीना पहले शुरू होने के कारण विशेषज्ञों को अंडों से कछुओं के बच्चों के जल्दी निकलने की अधिक उम्मीद है। डीएफओ ने कहा, ‘‘हमें उम्मीद है कि इस बार अंडों से कछुओं के बच्चे जल्दी निकलेंगे क्योंकि सामूहिक रूप से घोंसला बनाने की प्रक्रिया इस बार जल्दी हुई है।’’

खोक्कर ने कहा कि उन्होंने अंडों की रक्षा करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए हैं। अंडों को शिकारियों से बचाने के लिए स्थानीय लोगों सहित पर्याप्त संख्या में कर्मियों को तैनात किया गया है। उन्होंने कहा कि चूंकि मादा कछुए अंडे देने के बाद समुद्र में वापस चली जाती है तो गीदड़, जंगली कुत्ते, जंगली सूअर और पक्षी जैसे शिकारी अंडों को खाने की फिराक में होंगे।

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सूत्रों ने बताया कि प्राधिकारियों ने इलाके के चारों ओर बाड़ लगायी है। अंडों में से बच्चों के निकलने से पहले वन अधिकारी उन्हें पक्षियों से बचाने के लिए पूरे इलाके में मच्छरदानी लगाएंगे।

डीएफओ ने कहा, ‘‘चूंकि मादा कछुओं ने अंडे देने के बाद करीब 45 से 50 दिन तक बालू के गड्ढों से कछुओं के बच्चों के निकलने का इंतजार नहीं किया, इसलिए हम बच्चों के रेंगकर समुद्र में जाने तक उनकी देखभाल कर रहे हैं।’’

 










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