जानिये आंखों को संहतमद रखने के ये टिप्स, पढ़ें रेटिना की सेहत को प्रभावित करने वाले कारणों के बारे में

‘किनुरेनिन पाथवे’ में पुतलियों का रंग निर्धारित करने के लिए जिम्मेदार मेटाबोलाइट के स्तर में बदलाव करने से रेटिना (आंखों के पीछे के पर्दे) की सेहत पर असर पड़ता है। एक नए अध्ययन में यह बात सामने आई है। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर

Post Published By: डीएन ब्यूरो
Updated : 26 March 2023, 5:21 PM IST
google-preferred

नयी दिल्ली: ‘किनुरेनिन पाथवे’ में पुतलियों का रंग निर्धारित करने के लिए जिम्मेदार मेटाबोलाइट के स्तर में बदलाव करने से रेटिना (आंखों के पीछे के पर्दे) की सेहत पर असर पड़ता है। एक नए अध्ययन में यह बात सामने आई है।

‘किनुरेनिन पाथव’ प्रतिरक्षा प्रणाली का एक प्रमुख नियामक है, जो कोशिकीय ऊर्जा पैदा करने के साथ ही कई जैविक क्रियाओं में अहम भूमिका निभाता है।

जर्मनी स्थित मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट ऑफ मॉलीक्यूलर सेल बायोलॉजी एंड जेनेटिक्स (एमपीआई-सीबीजी) ने ड्रोसोफिला नस्ल की मक्खियों में पाए जाने वाले सिनेबर, कार्डिनल, व्हाइट और स्कारलेट जीन पर अध्ययन किया।

इन जीन का नामकरण पुतलियों का रंग निर्धारित करने में उनकी भूमिका के आधार पर किया गया है। ये जीन मुख्य रूप से मक्खियों की आंखों को अलग-अलग स्तर का भूरा रंग देने के लिए जिम्मेदार होते हैं।

अध्ययन दल में शामिल वैज्ञानिकों के मुताबिक, सिनेबर, कार्डिनल, व्हाइट और स्कारलेट जीन में ‘किनुरेनिन पाथव’ के घटकों की संरचना दर्ज होती है, जो विभिन्न जैविक क्रियाओं के अलावा आंखों का रंग निर्धारित करने के लिए जिम्मेदार माने जाते हैं।

वैज्ञानिकों ने पाया कि ‘किनुरेनिन पाथव’ में मौजूद मेटाबोलाइट के स्तर में बदलाव करने से रेटिना और मस्तिष्क प्रभावित हो सकते हैं।

उन्होंने बताया कि ‘किनुरेनिन पाथव’ में कोशिकाओं में होने वाली जैव-रासायनिक क्रियाएं शामिल होती हैं, जो एक मूल घटक को अन्य अहम घटकों में परिवर्तित करती हैं।

वैज्ञानिकों ने अनुवांशिकी, आहार में बदलाव और जैव-रासायनिक विश्लेषण के आधार पर ड्रोसोफिला मक्खियों में होने वाले विभिन्न बदलावों का अध्ययन किया।

उन्होंने पाया कि रेटिना के लिए हानिकारक मेटाबोलाइट ‘3-हाइड्रोक्सीकिनुरेनिन’ और उसकी रक्षा करने वाले मेटाबोलाइट ‘किनुरेनिक एसिड’ के स्तर में मौजूद सापेक्षिक अंतर रेटिना में क्षरण का स्तर निर्धारित करता है।

अध्ययन दल में शामिल सरिता हेब्बार ने बताया कि 3-हाइड्रोक्सीकिनुरेनिन के स्तर में वृद्धि जहां आंखों पर जोर पड़ने पर रेटिना को नुकसान बढ़ाती है, वहीं किनुरेनिक एसिड के स्तर में वृद्धि उसकी रक्षा करती है।

उन्होंने कहा कि यह अध्ययन मेटाबोलाइट के स्तर में उचित बदलाव कर रेटिना की सेहत को दुरुस्त रखने का एक मार्ग सुझाता है।

No related posts found.