पुणे से गिरफ्तार आतंकियों के पास से कई इलेक्ट्रॉनिक उपकरण बरामद, जिनमे मे मिली चाबड़ हाउस की तस्वीरें, जानें ताजा अपडेट

डीएन ब्यूरो

महाराष्ट्र एटीएस ने इस महीने की शुरूआत में पुणे से गिरफ्तार दो संदिग्ध आतंकवादियों के इलेक्ट्रॉनिक उपकरण में चाबड़ हाउस की तस्वीरें पायी हैं। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर

फाइल फोटो
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पुणे: महाराष्ट्र एटीएस ने इस महीने की शुरूआत में पुणे से गिरफ्तार दो संदिग्ध आतंकवादियों के इलेक्ट्रॉनिक उपकरण में चाबड़ हाउस की तस्वीरें पायी हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी ने रविवार को यह जानकारी दी।

दक्षिण मुंबई स्थित चाबड़ हाउस उन जगहों में शामिल था, जिसे पाकिस्तान से आए आतंकवादियों ने 26 नवंबर 2008 को हुए मुंबई हमले में निशाना बनाया था।

अधिकारी ने बताया कि संदिग्ध आतंकवादियों के पुणे के कोंधवा में स्थित किराए के फ्लैट से एजेंसी ने विस्फोटक बनाने में इस्तेमाल होने वाला एक इलेक्ट्रॉनिक सर्किट और उपकरणों से 500 जीबी डेटा बरामद किया है।

राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआई) द्वारा वांछित मोहम्मद इमरान मोहम्मद यूनुस खान (23) और मोहम्मद यूनुस मोहम्मद याकूब साकी (24) को पुणे के कोथ्रुद से 18 जुलाई को गिरफ्तार किया गया। दोनों राजस्थान में कथित रूप से आतंकवादी गतिविधियों के मामले में वांछित थे।

बाद में मामले की जांच महाराष्ट्र आतंकवाद निरोधक दस्ता (एटीएस) ने पुणे पुलिस से अपने हाथों में ले लिया था।

एटीएस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पत्रकारों के सवालों पर कहा, ‘‘दो संदिग्ध आतंकवादियों के इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से हमें मुंबई स्थित चाबड़ हाउस की तस्वीरें मिली हैं। इसके अलावा विभिन्न जिलों के गूगल मैप लोकेशन की स्क्रीनशॉट भी मिली है।’’

मुंबई में 2008 में हुए आतंकवादी हमले के दौरान नरीमन हाउस (जिसका नाम अब चाबड़ हाउस है) भी आतंकवादियों पर निशाने पर आ गया था। हमले में आतंकवादियों ने रब्बी गैब्रियल होल्त्जबर्ग और उनकी पत्नी रिवका होल्त्जबर्ग गैब्रियल के अलावा वहां आए चार अन्य आगंतुकों की हत्या कर दी थी। रब्बी के दो साल के पुत्र मोशे को उसकी भारतीय आया सांद्रा सैमुअल ने सुरक्षित बचा लिया था।

एटीएस अधिकारी ने बताया, ‘‘दोनों संदिग्ध आतंकवादियों के मकान से हमें एक ड्रोन कैमरा मिला है और विस्फोटक बनाने में इस्तेमाल होने वाला इलेक्ट्रॉनिक सर्किट भी मिला है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘अभी यह स्पष्ट नहीं है कि वे क्या करना चाहते थे। हमने उनके उपकरणों से करीब 500 जीबी डेटा बरामद किया है। इस डेटा को फॉरेंसिक विभाग को भेजा गया है।’’

उन्होंने बताया कि संदिग्ध आतंकवादी ‘वीडियो और तस्वीरें’ लेने के लिए ड्रोन का उपयोग करते थे, लेकिन अभी स्पष्ट नहीं है कि उन्होंने इनकी मदद से कहां की तस्वीरें ली हैं।

अधिकारी ने बताया, ‘‘ड्रोन का उपयोग करके किस जगह की तस्वीरें ली गईं या वीडियो बनाए गए, यह फॉरेंसिक रिपोर्ट आने के बाद ही स्पष्ट होगा। हमें अभी ड्रोन का फुटेज नहीं मिला है, क्योंकि उसे फॉरेंसिक विश्लेषण के लिए भेजा गया है।’’

पुलिस ने इससे पहले बताया था कि उन्होंने दोनों आरोपियों के पास से एक तंबू भी बरामद किया है। इस संबंध में पूछने पर एटीएस अधिकारी ने कहा, ‘‘दोनों संदिग्ध जब भी टोह लेने जाते थे, तो होटल में रुकने से बचते थे और तंबू में रहते थे। वे राज्य में कई जगह गए हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘आरोपी कट्टर आतंकवादी हैं... वे कुछ लोगों के वीडियो देखकर और किताबें पढ़कर प्रभावित हुए हैं... (पूछताछ के दौरान) वे कई सवालों से बचने का प्रयास कर रहे हैं।’’

उन्होंने बताया, दोनों आरोपियों की गिरफ्तारी के वक्त उनके साथ मौजूद तीसरा व्यक्ति भी कट्टर आतंकवादी है और वह भाग गया था। कई दल उसकी गिरफ्तारी के प्रयास कर रहे हैं।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, पुणे से दोनों संदिग्ध आतंकवादियों की गिरफ्तारी के कुछ ही दिन बाद एटीएस ने बुधवार को पुणे से अब्दुल कादिर दस्तगिर पठान को आरोपियों को आश्रय देने के आरोप में गिरफ्तार किया। उसने दोनों को वित्तीय सहायता मुहैया कराने के लिए रत्नागिरि जिले से एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया है।

पुलिस ने बताया कि सभी को पांच अगस्त तक एटीएस की हिरासत में भेज दिया गया है। उन्होंने बताया कि गिरफ्तार किए गए दोनों संदिग्ध आतंकवादी (खान और साकी) मध्य प्रदेश के रतलाम जिले के रहने वाले हैं और पेशे से ग्राफिक डिजाइनर हैं। दोनों पर पांच-पांच लाख रुपये का इनाम था।

उन्होंने बताया कि मध्य प्रदेश के एक शहर से राजस्थान पुलिस द्वारा आतंकवाद से जुड़े मामले में अल-सुफा संगठन के कुछ संदिग्ध सदस्यों की गिरफ्तारी के बाद दोनों के नाम जांच में सामने आने की सूचना पाकर आरोपी रतलाम से फरार हो गए थे।

सूत्रों ने बताया कि वे मुंबई पहुंचे और दो-तीन दिन तक भिंडी बाजार में रहने के बाद पुणे के कोंधवा चले आए, जहां उन्होंने एक स्थानीय निवासी की मदद से नौकरी शुरू की।

उन्होंने बताया कि आरोपियों ने झारखंड के रहने वाले एक व्यक्ति से दोस्ती की। यह व्यक्ति उनकी गिरफ्तारी के दौरान पुलिस की गिरफ्त से बच निकला।

सूत्रों ने बताया कि कोंधवा में इन दोनों ने कादिर से मुलाकात की और उसे बताया कि आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण वे नौकरी की तलाश में पुणे आए हैं।

उन्होंने बताया कि ग्राफिक डिजाइनिंग का काम करने वाले कादिर ने उन्हें नौकरी दी और किराए पर जो मकान उसने लिया था, उसे उसने इन्हें किराए पर दे दिया।










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