Manmohan Singh: मनरेगा, RTI, RTE और वे 5 ऐतिहासिक फैसले, जिनके लिये हमेशा याद रखे जाएंगे पूर्व पीएम मनमोहन सिंह

देश के पूर्व प्रधानमंत्री डा मनमोहन सिंह का 92 साल की उम्र में कल गुरूवार को निधन हो गया। डाइनामाइट न्यूज़ की इस रिपोर्ट में जानिये पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के पांच बड़े ऐतिहासिक फैसले

Post Published By: डीएन ब्यूरो
Updated : 27 December 2024, 8:20 AM IST
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नई दिल्ली: देश के पूर्व प्रधानमंत्री और दिग्गज अर्थशास्त्री डा मनमोहन सिंह का 92 साल की उम्र में कल दिल्ली में निधन हो गया। उन्होंने दिल्ली के एम्स में गुरूवार शाम को अंतिम सांसें ली। डा. मनमोहन का निधन देश के लिये अपूरणीय क्षति है। पूरा देश उनके निधन पर शोक में डूबा हुआ है।

डा. मनमोहन एक महान राजनेता

डा. मनमोहन एक महान राजनेता के अलावा महान विचारक और शिक्षाविद् भी थे। उनका राजनीति दृष्टिकोण बेहद मजबूत और सुलझा हुआ रहा। उनको सामाजिक सद्भाव और मानवता के लिये भी याद रखा जायेगा।

डाइनामाइट न्यूज़ की इस रिपोर्ट में जानिये पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के उन पांच बड़े ऐतिहासिक फैसलों के बारे में, जिनके लिये उनको देश हमेशा याद करता रहेगा।

 

1) मनरेगा 
साल 2004 में देश के प्रधानमंत्री बनने के अगले की साल 2005 में डॉ मनमोहन सिंह ने देश में राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम यानी मनरेगा को लागू किया। बाद में इस योजना का नाम महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम यानी मनरेगा किया गया। इस योजना का लक्ष्य गांवों में रहने वाले हर परिवार को न्यूनतम रोजगार उपल्बध कराना है। इसके तहत हर परिवार के एक सदस्य को 100 दिन की मजदूरी की गारंटी दी जाती है। अगर लोगों को 100 दिन का काम नहीं दिया जाता तो बेरोजगारी भत्ता दिया जाता है। इस फैसले से ग्रामीण इलाकों में गरीबी कम हुई। शहरों की ओर पलायन भी कुछ कम हुआ। कोरोना काल में देश में इस योजना के कारण लाखों लोगों को रोजगार मिला और उनका जीवन पटरी पर बना रहा।

2) सूचना का अधिकार
बतौर प्रधानमंत्री डा मनमोहन के नेतृतव में ही देश की आम जनता को 2005 में सूचना का अधिकार अधिनियम (आरटीआई) मिला। आरटीआई देश की जनता के लिये एक अचूक हथियार होने के साथ ही बड़ा वरदान भी बन गया है। इस कानून के तहत देश का कोई भी नागरिक सरकारी विभाग से कोई भी जानकारी या सूचना मांग सकता है। इस कानून के बाद सरकारी कामकाज में पारदर्शिता बढ़ी है और कई भ्रष्टाचार के मामलों का भी पर्दाफाश हुआ।

3) आधार 
डा. मनमोहन सिंह के कार्यकाल में ही देश में हर नागरिक को पहचान दिलाने वाले आधार की शुरुआत की गई थी। इसके लिये 2009 में भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) का गठन किया गया। आधार के तहत हर नागरिक को पहचान का प्रमाण पत्र दिया गया। आज आधार कार्ड भारत के हर नागरिक के लिए एक अनिवार्य पहचान दस्तावेज बन गया है।

4) शिक्षा का अधिकार कानून (2009)
देश के पीएम के रूप में मनमोहन सिंह सरकार ने देशवासियों को शिक्षा का अधिकार कानून (2009) दिया। इसका मुख्य उद्देश्य 6 से 14 वर्ष की आयु के बीच के सभी बच्चों को बिना किसी भेदभाव के मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा प्रदान करना है। इसका लक्ष्य भेदभाव से मुक्त शिक्षा देना है। यह कानून लागू होने के बाद देश में शिक्षा का स्तर बढ़ा और गांवों में बच्चे बढ़ी संख्या में स्कूल जाने लगे।

5) राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून (2013)
मनमोहन सिंह के नेतृत्व में ही देशवासियों को 2013 में राष्ट्रीय खाद्य कानून मिला। इसके तहत भारत के 66 फीसदी परिवारों को सस्ती दरों पर अनाज की व्यवस्था की गई। यह कानून गरीबी रेखा ने नीचे रह रहे लोगों को वरदान साबित हुआ। इसके तहत गरीबों को सब्सिडी वाला अनाज दिया जाता है। इसका उद्देश्य हर जरूरतमंद को खाद्यान्न मुहैय्या कराना और खाद्य सुरक्षा को मजबूत करना है।