मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने लोगों से लूटे गए हथियार वापस करने को कहा

डीएन ब्यूरो

मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने सुरक्षा बलों से लूटे गए हथियार वापस करने की बुधवार को लोगों से अपील की और किसी भी व्यक्ति के पास अनधिकृत हथियार और गोला-बारूद पाये जाने पर उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी।

मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह (फाइल )
मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह (फाइल )


इम्फाल: मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने सुरक्षा बलों से लूटे गए हथियार वापस करने की बुधवार को लोगों से अपील की और किसी भी व्यक्ति के पास अनधिकृत हथियार और गोला-बारूद पाये जाने पर उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी।

मुख्यमंत्री ने एक हस्ताक्षरित बयान में लोगों से सुरक्षा कर्मियों और राहत सामग्री की मुक्त आवाजाही सुनिश्चित करने के लिए सड़कों को अवरुद्ध नहीं करने की भी अपील की।

सिंह ने कहा कि इस तरह की बाधाएं सुरक्षा और पुलिस कर्मियों के लिए सशस्त्र समूहों द्वारा हमलों का समय पर जवाब देना मुश्किल बना रही हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘मैं सभी संबंधित लोगों से अपील करता हूं कि घाटी और पहाड़ी जिलों में सशस्त्र पुलिस बटालियन, पुलिस थानों आदि से लूटे गए हथियार और गोला-बारूद जल्द से जल्द नजदीकी पुलिस थाने या मणिपुर राइफल्स/इंडियन रिजर्व बटालियन, आदि में सौंप दें।’’

मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘यदि सुरक्षा कर्मियों द्वारा तलाशी अभियान के दौरान या अन्यथा किसी भी व्यक्ति के पास अनधिकृत हथियार और गोला-बारूद पाया जाता है तो उसके खिलाफ हथियार कानून 1959 और नियमों के अनुसार कानूनी कार्रवाई की जाएगी।’’

सिंह ने कहा कि कई स्थानों पर लोग कर्फ्यू प्रतिबंधों का उल्लंघन करते हुए और सड़कों को अवरुद्ध करते पाए थे जिससे राहत शिविरों में रहे रहे लोगों के लिए राहत सामग्री के मुक्त आवागमन में बाधा उत्पन्न हुई है। उन्होंने कहा कि साथ ही इससे संघर्ष वाले क्षेत्रों और राज्य के आंतरिक स्थानों में अवैध सशस्त्र समूहों से निपटने के लिए सुरक्षा कर्मियों की आवाजाही में बाधा उत्पन्न हुई।

उन्होंने कहा, ‘‘सड़कों को इस तरह से बाधित किये जाने से राहत शिविरों में पहले से ही पीड़ित लोगों की कठिनाई बढ़ रही हैं, जिनमें गर्भवती महिलाएं और छोटे बच्चे शामिल हैं क्योंकि इससे स्वास्थ्य कर्मियों, दवा, भोजन, दूध और पानी की आवाजाही को रोक दिया गया है।’’

मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘इस तरह की बाधाएं सशस्त्र समूहों द्वारा हमलों का सुरक्षा और पुलिस कर्मियों द्वारा समय पर जवाब देना बेहद मुश्किल बना रही हैं।’’

सिंह ने कहा कि निर्दोष नागरिकों के जीवन और संपत्ति को बचाने और राहत शिविरों में आने वाली कठिनाइयों को दूर करने के लिए, 'मैं मणिपुर के लोगों से अपील करता हूं कि वे सुरक्षा कर्मियों और राहत सामग्री की मुक्त आवाजाही में बाधा न डालें।’’

मणिपुर के मुख्यमंत्री की यह अपील केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के राज्य के दौरे के बीच आयी है।

शाह ने अपने दौरे के तीसरे दिन, पूर्वोत्तर राज्य में सुरक्षा स्थिति का जायजा लेने के लिए बुधवार को सीमावर्ती शहर मोरेह में समीक्षा बैठक की, जहां लगभग एक महीने से छिटपुट हिंसा हो रही है।

केंद्रीय गृहमंत्री ने मणिपुर में सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की और कुकी के एक प्रतिनिधिमंडल और अन्य समुदायों का प्रतिनिधित्व करने वाले एक दल से मुलाकात की। प्रतिनिधियों ने मणिपुर में सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए सरकार की पहल को अपना मजबूत समर्थन जताया।

मंगलवार को इंफाल और चुराचांदपुर में शाह से मुलाकात के बाद, मेइती और कुकी समूहों ने शांति के प्रति अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की और आश्वासन दिया कि वे संकटग्रस्त राज्य में सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए काम करेंगे।

शाह ने मंगलवार को इंफाल में मणिपुर पुलिस, केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) और सेना के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ भी सुरक्षा समीक्षा बैठक की।

उन्होंने कहा कि मणिपुर की शांति और समृद्धि सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है और सुरक्षा बलों को शांति भंग करने वाली किसी भी गतिविधि से सख्ती से निपटने का निर्देश दिया।

तीन मई को पूर्वोत्तर राज्य में जातीय संघर्ष के बाद से केंद्रीय गृहमंत्री पहली बार मणिपुर का दौरा कर रहे हैं।

एक पखवाड़े से अधिक की शांति के बाद रविवार को राज्य में उग्रवादियों और सुरक्षा बलों के बीच संघर्ष और गोलीबारी में अचानक तेजी देखी गई। अधिकारियों ने कहा कि झड़पों में मरने वालों की संख्या 80 हो गई है।

मणिपुर में ‘जनजातीय एकता मार्च’ के बाद मणिपुर में पहली बार जातीय हिंसा भड़क उठी थी। अनुसूचित जाति (एसटी) के दर्जे की मांग को लेकर मेइती समुदाय ने तीन मई को प्रदर्शन किया था जिसके बाद ‘जनजातीय एकता मार्च’ का आयोजन किया था।

आरक्षित वन भूमि से कूकी ग्रामीणों को बेदखल करने को लेकर तनाव के चलते, पहले भी हिंसा हुई थी, जिसके कारण कई छोटे-छोटे आंदोलन हुए थे।

 










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