यूपी में आम उत्पादक किसानों के अरमानों पर फिरा पानी, फसल बर्बाद, जानिये पूरा अपडेट

डीएन ब्यूरो

उत्तर प्रदेश में पिछले 10 दिनों के दौरान आयी आंधी-पानी और ओलावृष्टि आम उत्पादक किसानों के अरमानों पर मुसीबत बनकर टूटी है। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

लखनऊ के मलीहाबाद के मशहूर आम उत्पादक कलीमुल्लाह
लखनऊ के मलीहाबाद के मशहूर आम उत्पादक कलीमुल्लाह


लखनऊ: उत्तर प्रदेश में पिछले 10 दिनों के दौरान आयी आंधी-पानी और ओलावृष्टि आम उत्पादक किसानों के अरमानों पर मुसीबत बनकर टूटी है। इस प्राकृतिक आपदा के कारण आम की फसल को हुए जबरदस्त नुकसान से परेशान उत्पादकों ने सरकार से मदद की गुहार लगाई है।

प्रदेश के आम उत्पादक इस बार अच्छा बौर आने की वजह से बंपर फसल की उम्मीद कर रहे थे, लेकिन आंधी, बारिश और ओलावृष्टि तथा उसके परिणामस्वरूप मौसम ठंडा होने के कारण फसल को अब तक करीब 40 फीसदी का नुकसान हो चुका है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार ‘मैंगो ग्रोवर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया’ के अध्यक्ष इंसराम अली ने  बताया, '10 दिन पहले तो हाल बहुत अच्छा था, लेकिन बारिश और ओले के साथ ठंड लौटने की वजह से आम की फसल को बहुत नुकसान हो गया है। तकरीबन 40 प्रतिशत फसल बर्बाद हो चुकी है।'

उन्होंने बताया कि इस साल पूरे उत्तर प्रदेश में आम पर बहुत अच्छा बौर (फूल) आया था और किसी तरह की कोई बीमारी भी नहीं लगी थी, लिहाजा आम उत्पादकों को इस बार बंपर फसल होने की उम्मीद थी, लेकिन पिछले करीब 10 दिनों के दौरान प्रदेश में हुई बारिश, आंधी-तूफान और ओलावृष्टि के साथ तापमान में गिरावट से काफी बौर झड़ गया। इससे तकरीबन 40 फीसदी फसल खराब हो गई है और अगर मौसम इसी तरह बना रहा, तो आगे और भी ज्यादा नुकसान होने की आशंका है।

लखनऊ के मलीहाबाद के मशहूर आम उत्पादक कलीमुल्लाह ने बताया कि आम की फसल के लिए मार्च के महीने में हल्की गर्मी का मौसम होना जरूरी है, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हो सका।

उन्होंने बताया कि पिछले साल मार्च में भीषण गर्मी की वजह से आम के फूल झुलस गए थे और इस बार मौसम ठंडा होने और आंधी-पानी के कारण करीब 50 प्रतिशत फूल झड़ गए हैं। कुल मिलाकर फसल को काफी नुकसान हो चुका है।

इंसराम अली ने बताया कि करीब पांच साल के बाद इस बार अच्छा बौर आने के कारण उम्मीद थी कि प्रदेश में लगभग 60 लाख मीट्रिक टन आम का उत्पादन होगा, लेकिन अब 35 लाख मीट्रिक टन हो जाए, तो बहुत बड़ी बात होगी। अगर अगले 10 दिन और मौसम ऐसा ही रहा, तो और भी ज्यादा नुकसान हो सकता है।

उन्होंने बताया, 'पिछले साल मार्च में भीषण गर्मी की वजह से भी फसल को बहुत नुकसान हुआ था और राज्य में तकरीबन 20 लाख मीट्रिक टन ही आम का उत्पादन हो सका था। इस साल आम उत्पादकों को लगातार दूसरी बार मौसम का झटका लगा है और पिछले साल हुए नुकसान की भरपाई की उम्मीद अब धूमिल होती नजर आ रही है।'

अली ने बताया कि फसल खराब होने से आम के निर्यात पर भी बहुत बुरा असर पड़ता है। आम का उत्पादन कम होने से घरेलू खपत ही पूरी नहीं हो पाती, तो निर्यात पर असर पड़ना तो लाजमी है।

उन्होंने मांग करते हुए कहा, 'सरकार को आम उत्पादकों को हुए इस नुकसान की भरपाई करनी चाहिए। हमारी मांग है कि जिस तरह से सरकार प्राकृतिक आपदा के कारण अन्य फसलों के किसानों को नुकसान का मुआवजा देती है, उसी तरह आम उत्पादकों को भी क्षतिपूर्ति दी जाए। मैंगो ग्रोवर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया पहले भी यह मांग कर चुका है और अब भी कर रहा है।'

अली ने सरकारों पर आम उत्पादकों की अनदेखी करने का आरोप लगाते हुए कहा कि इन्हें तो कभी किसान समझा ही नहीं गया, जबकि आम के कारोबार पर प्रदेश के करीब एक करोड़ लोग रोजगार के लिए निर्भर करते हैं।

उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश के करीब 14 जिलों में लगभग पौने तीन लाख हेक्टेयर क्षेत्र में आम का उत्पादन होता है। इनमें लखनऊ, उन्नाव, प्रतापगढ़, मुरादाबाद, हरदोई, बुलंदशहर और बाराबंकी समेत 14 जिले शामिल हैं। इन्हें आम पट्टी कहा जाता है।

लखनऊ के मलिहाबाद में पैदा होने वाला दशहरी आम अपनी जायके और खुशबू के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है।










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