महराजगंज: बच्चों को दी जाने वाली मुफ्त पाठ्य पुस्तकें बीआरसी की बढ़ा रहीं शोभा, ख़ाक मस्ती छान रहे नौनिहाल
सरकार द्वारा लाख प्रयास किये जाने के बाद भी बेसिक शिक्षा विभाग अपनी उदासीनता व लापरवाही से बाज नहीं आ रहा है, जिसका खामियाजा प्राथमिक स्कूलों में नामांकित बच्चे भुगत रहे है। डाइनामाइट न्यूज़ के एक्सक्लूसिव रिपोर्ट..
महराजगंज: शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत 6 से 14 आयु वर्ग के बच्चों को निःशुल्क व अनिवार्य शिक्षा देना है। जिसके तहत प्राथमिक विद्यालयों में नामांकित बच्चों को निःशुल्क पुस्तकें, ड्रेस, जूता मोजा, बस्ता आदि देना होता है। अप्रैल, मई, जुलाई माह के नए सत्र का पठन-पाठन कार्य बीत गया, लेकिन मिठौरा क्षेत्र के विभिन्न प्राथमिक स्कूलों के बच्चों को ये सुविधाएं नसीब नहीं हुई। बच्चे सिर्फ मिड-डे मिल तक सिमटे जा रहे हैं। पढ़ाई के नाम पर बच्चें सिर्फ खाक मस्ती छान रहे हैं। जबकि पुस्तकें बारिश के पानी में भीगते हुए बीआरसी की शोभा बढ़ा रहे हैं।
आंकड़ें से अनजाने एबीएसए
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डाइनामाइट न्यूज़ से बातचीत में मिठौरा के एबीएसए अरविन्द कुमार सिंह ने बताया कि वह अभी 9 जुलाई को पदभार ग्रहण किये हैं। इसके अतिरिक्त निचलौल व सिसवा क्षेत्र का भी चार्ज उनके पास है। ड्रेस के आंकड़ें अभी उपलब्ध नहीं हैं। उन्होंने कहा कि सोमवार को बीआरसी में रखी सभी किताबे एनपीआरसी को सुपुर्द कर दी जायेंगी, जहाँ से प्राथमिक स्कूलों पर पुस्तकें पहुँच जायेंगी और बच्चों में बाँट दी जायेंगी।
गन्दगी से पटा परिसर में लगा हैंडपंप
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बीआरसी परिसर के सामने लगा इंडिया मार्का हैंडपंप गन्दगी के चलते लोगों तक शुद्ध पेयजल पहुंचा पाने में कतरा रहा है। लोग चाह कर भी मुँह सिकोड़ कर घूम जा रहे है। जबकि यहीं से स्वच्छता अभियान शुरु होता है।
आखिर जिम्मेदार कौन?
अभी तक बच्चों के हाथों में निःशुल्क किताबें सहित अन्य सुविधाएं न पहुंचा कर उन्हें पठन पाठन से वंचित कर खाक मस्ती कराने का जिम्मेदार कौन है? अभिवावक?, विभाग? या स्वयं? यह काफी गांभी सवाल है, जिस पर सभी जिम्मेदारों को सोचना चाहिये।