महाराष्ट्र में निजी बसों की हड़ताल हुई खत्म लेकिन ये संकट जारी

डीएन ब्यूरो

बृहन्मुंबई विद्युत आपूर्ति एवं यातायात (बेस्ट) के निजी संचालकों के कई कर्मचारी हड़ताल वापस लिए जाने के एक दिन बाद बुधवार सुबह काम पर वापस नहीं लौटे। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

हड़ताल खत्म पर कई कर्मचारी काम पर नहीं लौटे
हड़ताल खत्म पर कई कर्मचारी काम पर नहीं लौटे


मुंबई:  बृहन्मुंबई विद्युत आपूर्ति एवं यातायात (बेस्ट) के निजी संचालकों के कई कर्मचारी हड़ताल वापस लिए जाने के एक दिन बाद बुधवार सुबह काम पर वापस नहीं लौटे। 

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार बेस्ट के एक प्रवक्ता सुनिल वैद्य ने बताया कि पट्टे पर ली गई लगभग 85 प्रतिशत बसों का परिचालन निजी संचालकों के चालकों द्वारा किया जा रहा है।

वैद्य ने बताया कि सुबह 10 बजे तक की जानकारी के अनुसार, बेड़े में शामिल 3,040 बसों में से 97.5 फीसदी बसों का संचालन किया गया। इनमें पट्टे पर ली गई और बेस्ट के स्वामित्व वाली बसें शामिल हैं।

वैद्य ने दावा किया कि निजी बस संचालकों के सभी कर्मचारी बस डिपो में काम पर लौट आए हैं। हालांकि, उन्होंने उनकी सटीक संख्या नहीं बताई।

उन्होंने कहा, ‘‘निजी बस संचालकों के कर्मचारियों द्वारा चलाई जाने वाली 100 फीसदी बसें जल्द ही सड़कों पर दौड़ने लगेंगी।’’

मुंबई और पड़ोसी क्षेत्रों में सार्वजनिक बस सेवाएं प्रदान करने वाली बेस्ट ने कुछ ठेकेदारों से पट्टे पर 1,600 से अधिक बसें किराए पर ली हैं, जिसके तहत वाहन का स्वामित्व, रखरखाव, ईंधन और चालक का प्रबंधन निजी संचालकों के जिम्मे है।

निजी संचालकों के चालक समेत तमाम कर्मचारी वेतन वृद्धि और बेस्ट कर्मचारियों के बराबर वेतन देने समेत अन्य मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे थे। हालांकि, हड़ताल के दौरान बेस्ट ने अपने चालकों की मदद से पट्टे पर ली गईं 600 से अधिक बसों का परिचालन जारी रखा।

प्रदर्शन करने वाले कर्मचारियों के प्रतिनिधिमंडल ने मंगलवार दोपहर को घोषणा की थी कि सोमवार रात महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के साथ बैठक के बाद उन्होंने दो अगस्त से जारी हड़ताल को वापस ले लिया है।

मीडिया में जारी एक बयान में उन्होंने यह भी दावा किया कि शिंदे ने वेतन वृद्धि सहित उनकी मांगों को स्वीकार कर लिया है और उन्हें पूरा करने का वादा किया है।

निजी बस संचालकों के कर्मचारियों के एक समूह के समन्वयक विकास खरमाले ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि सरकार से लिखित आश्वासन नहीं मिलने के कारण कई कर्मचारी काम पर लौटने के लिए राजी नहीं हैं।










संबंधित समाचार