DN Exclusive: महराजगंज में सरकारी कागजों में उपलब्ध यूरिया केंद्रों पर नदारद, खाद के लिए किसानों में हाहाकार, बर्बादी के कगार पर खेती

डीएन संवाददाता

सरकारी कागजों में यूरिया खाद भले ही पर्याप्त हो लेकिन महराजगंज जिले के किसानों में खाद के लिये हायतौबा मची हुई है। केंद्रों पर यूरिया उपल्ध नहीं है जिस कारण खेती बर्बादी के कगार पर पहुंचती जा रही है। पढ़िये डाइनामाइट की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट



महराजगंजः जिले में गेहूं की पहली सिंचाई शुरू हो गई हैं। हर किसान को यूरिया की सख्त जरूरत है। लेकिन इफ्को केन्द्रों व साधन सहकारी समितियों पर एक-एक बोरी खाद के लिए किसान तरस रहा है और जिम्मेदार अधिकारी तमाशबीन बने हुये हैं। किसानों को खाद की समस्या से जूझना पड़ रहा है। यदि ऐसे ही हालत रहे तो किसानों की खेती बर्बाद हो जाएगी।

कागजों में उपलब्ध यूरिया केंद्रों पर नदारद  

कृषि विभाग के अधिकारी भले ही कागजों में पर्याप्त मात्रा में यूरिया उपलब्ध होने का दावा कर रहे हों लेकिन यूरिया के लिए चारो ओर हाहाकार मचा हुआ है। 

डाइनामाइट न्यूज़ को किसानों ने बताया कि दुकानदार 400 से 450 रूपये बोरी में यूरिया बेच रहे हैं। वह यूरिया नकली है कि असली, यह पहचान करना भी मुश्किल है। वहीं कृषि विभाग इस गंभीर समस्या को लेकर चुप्पी साधे हुए हैं।

पड़ताल में खुली पोल विभागीय दावों की पोल 

डाइनामाइट न्यूज ने आज इफको केन्द्र की पड़ताल की। यहां भोर से ही किसानों की लाइन लगी हुई नजर आई। किसानों ने डाइनामाइट न्यूज को बताया कि साधन सहकारी समितियों पर ताले लटके हुए हैं। यहां एक-एक बोरी खाद के लिए जूझना पड़ रहा है। दुकानों पर खाद महंगी है कि उसे खरीदने में किसानों का पसीना छूट रहे हैं। 

तो बर्बाद हो जाएगी गेहूं की खेती 

जिले में 1.48 लाख हेक्टेयर में गेहूं की खेती हुई है। नवंबर माह में बोए गए फसल में यूरिया की जरूरत है। ऐसे में यूरिया नहीं मिली तो रबी में किसानों की खेती बर्बाद हो जाएगी। इसे लेकर किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें खीची हुई है। 

डीएओ वीरेन्द्र कुमार ने डाइनामाइट न्यूज़ को  बताया कि जिले में यूरिया खाद प्याप्त मा़त्रा में उपलब्ध हैं। अधिक मूल्य लेकर यूरिया बेचने वाले दुनानदारों के कड़ी कार्रवाई की जा रही है।










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