महराजगंज: मंत्री के दौरे के बाद भी नहीं बदले बदहाल बस डिपो के हाल, बेबस यात्रियों का बुराहाल
उत्तर प्रदेश के महराजगंज जिले स्थित निचलौल डिपो में इन दिनों अव्यवस्थाओं का बोलबाला है। यह डिपो पर्याप्त मात्रा में बसों की मौजूदगी के बाद भी चालक और परिचालकों की कमी से जूझ रहा है। लेकिन इस समस्या के खात्मे को लेकर अभी तक कोई भी जिम्मेदार व्यक्ति सामने नहीं आया है। डाइनाइमट न्यूज टीम ने इस डिपो का दौरा किया है और जो देखा है वह काफी हैरान करने वाला है।
महराजगंज: आमतौर पर सार्वजनिक सेवाओं या प्रतिष्ठानों की स्थापना लोगों की समस्याओं के समाधान और उनकी मुसीबतों को कम करने के लिए किया जाता है। लेकिन प्रशासनिक लापरवाही की वजह से अगर ये सेवाएं स्वयं लोगों की मुसीबतों का सबब बन जाएं तब सवाल उठने लाजमी है। कुछ ही दिनों पहले ही प्रदेश के कबीने मंत्री ने महराजगंज जिले में स्थित निचलौल परिवहन डिपो का दौरा किया, लेकिन उन्होंने भी इसकी बदहाली की ओर देखने की जहमत नहीं उठाई। जिले में स्थित धनेवा धनेई के निचलौल बस डिपो में कई तरह की अव्यवस्थाओं का बोलबाला है। डिपो कर्मियों की कार्यप्रणाली लोगों की मुसीबतों का सबब बन गया है।
खराब और जर्जर सड़कें
लोगों की समस्याओं को देखते हुए डाइनामाइट न्यूज़ की टीम ने इस डिपो का दौरा कर जो देखा, वह वास्तव में हैरान करने वाला था। हम यहां पर जब पहुंचे तो हमारा स्वागत खराब और जर्जर हो चुकी सड़कों ने किया। इसके बाद डिपो में बेतरतीब और अव्यवस्थित ढ़ंग से खड़ी बसों ने आगे की सारी कहानी स्वयं बयां कर दी। हमारी बातचीत में यहां के कर्मचारियों ने बताया कि डिपो में कर्मचारियों की काफी कमी है और केवल 1 फोरमैन, कुछ मिस्त्री व हेल्पर के सहारे ही पूरा डिपो को संचालित किया जा रहा है।
चालक-परिचालक की कमी
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यही नहीं डिपो की खराब सड़कों की वजह से बसों में भी दिक्कत आना कोई नई बात नहीं है। डिपो में फैली अव्यवस्था के बारे में बात करते हुए फोरमैन के रुप में कार्यरत रमेश नाम के व्यक्ति ने बताया कि यह डिपो चालक और परिचालक की कमी से जूझ रहा है। लिहाजा यहां बसें तो हैं, मगर इनकी अनउपलब्धता की वजह से यहां-वहां खड़ी रहती हैं। कहने का तात्पर्य है कि डिपो में बसें तो पर्याप्त मात्रा में हैं लेकिन उन्हें संचालित करने वाला कोई नहीं है।
डिपो में फैली अव्यवस्था
बता दें कि करीब दो महीने पहले ही जिले में कबीने मंत्री का आगमन हुआ था। लेकिन वे किसी कारणवश यहां नहीं आ पाए थे। हालांकि इस आगमन के बाद लोगों में यह उम्मीद तो बंध गई थी कि जिले के आला-अफसर हरकत में आएंगे और डिपो का कायाकल्प होगा। साथ ही यहां की सूरत बदल जाएगी। लेकिन दो महीनें बीत जानें के बाद भी न तो डिपो में फैली अव्यवस्था खत्म हुई और न ही यहां पर कर्मियों की कमी को पूरा किया जा सका है। वह भी तब जब यह जिला प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का पड़ोसी जिला है।
बड़ी प्रशासनिक लापरवाही
फोरमैन ने बताया कि प्रशासनिक लापरवाही की वजह से डिपो में आ चुकी बसें या तो आसमान के नीचे खड़ी रहती हैं या उनका कोई उपयोग नहीं है। इसकी वजह से यात्री भी परेशान होते नजर आते हैं, लेकिन अभी तक कोई भी इस समस्या की ओर ध्यान देने वाला या उसे खत्म करने का आश्वासन देने वाला कोई भी जिम्मेदार व्यक्ति सामने नहीं आया है।