

जहर देकर की गयी हत्या के एक मामले की जांच किये बिना ही अधिकारी ने फाईनल क्लोजर रिपोर्ट दे दी। पुलिस की इस बड़ी लापरवाही के कारण अब मृतक युवक के मां-बाप न्याय के लिये भटक रहे हैं। पढिये, डाइनामाइट न्यूज की स्पेशल रिपोर्ट
महराजगंज: जहर देकर की गयी हत्या के एक पुराने मामले में अब पुलिस की बड़ी लापरवाही सामने आई है। मर्डर केस की उचित जांच किये बिना ही जांच अधिकारी पर केस की फाइनल क्लोजर रिपोर्ट लगाने का आरोप है। पुलिस की इस लापरवाही के कारण मृतक युवक के मां-बाप पिछले 8 वर्षो से न्याय के लिये भटक रहे हैं।
मामला सदर कोतवाली के कांशीराम आवास चिउरहा का है। आरोप है कि यहां रहने वाले भीम चौहान पुत्र स्वर्गीय लल्लन का एकलौता लड़का सुनील की 8 वर्ष पहले 1 मार्च 2012 को जहर देकर निर्मम हत्या कर दी गयी थी। इस मामले में उस समय प्रभारी कोतवाल रहे साधु शरण मुकदमा लिखने में आना-कानी करते रहे।
बताया जाता है कि पुलिस से न्याय नही मिलता देख पीड़ित मां-बाप ने कोर्ट की शरण ली। कोर्ट के आदेश पर इस मामले में अपराध संख्या 306/2012 धारा 302 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया। लेकिन अंधेरगर्दी का आलम यह था कि विवेचक ओ.पी. सिंह ने बिना विसरा रिपोर्ट देखे और जांच किये बिना ही आरोपियों से गठजोड़ करके मामले में फाईनल रिपोर्ट लगा दी।
मामले में क्लोजर रिपोर्ट के बाद हार-थककर पीड़ित को फिर न्यायालय की शरण में जाना पड़ा। न्यायालय ने फाईनल रिपोर्ट को निरस्त करते हुए 18/7/2016 को पुनः विवेचना का आदेश दे दिया। लेकिन आलम यह है कि 4 वर्षो के बाद भी अभी तक पीड़ित का न तो बयान हुआ और न ही यह पता चल पाया कि इस मामले में विवेचक कौन है? लेकिन पीड़ित माँ-बाप अपने इकलौते बेटे के हत्यारों को सजा दिलाने और न्याय पाने के लिए आज भी दर-दर भटक रहे है।
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