देश के मशहूर इस राजघराने के वारिस ने अपनी विरासत को छोड़ अपनाया ये स्टार्टअप, जानिये खास बातें
ग्वालियर के सिंधिया राजघराने के वारिस महाआर्यमन सिंधिया ने अपनी विरासत से इतर जाकर उद्यमशीलता के क्षेत्र में कदम रखा है। वह अपने स्टार्टअप ‘माईमंडी’ को डेढ़ साल के भीतर लाभदायक उद्यम के रूप में तब्दील करने की मुहिम में जुट गए हैं।
नयी दिल्ली: ग्वालियर के सिंधिया राजघराने के वारिस महाआर्यमन सिंधिया ने अपनी विरासत से इतर जाकर उद्यमशीलता के क्षेत्र में कदम रखा है। वह अपने स्टार्टअप ‘माईमंडी’ को डेढ़ साल के भीतर लाभदायक उद्यम के रूप में तब्दील करने की मुहिम में जुट गए हैं।
समाज सेवा एवं राजनीति के क्षेत्र में परिवार से मिली विरासत के अलावा 27 साल के महाआर्यमन के पास बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप और सॉफ्टबैंक जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों के साथ काम करने का भी अनुभव है। उन्होंने सूर्यांश राणा के साथ मिलकर कृषि स्टार्टअप माईमंडी की वर्ष 2022 में बुनियाद रखी। इसके जरिये कृषि उपज के अवशिष्ट और लॉजिस्टिक लागत में कटौती करने का लक्ष्य है।
इस स्टार्टअप ने ग्वालियर से काम करना शुरू किया। यहां पर खुद सिंधिया अपनी पहचान छिपाने के लिए चेहरा ढंककर स्थानीय मंडियों में जाते हैं और ताजा फसलों को खरीदते हैं। फिर उस कृषि उत्पाद को फर्म के आपूर्ति साझेदारों- गली मोहल्ले के दुकानदारों और ठेले वालों तक पहुंचा दिया जाता है।
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सिंधिया ने बातचीत में कहा कि परिचालन शुरू होने के छह महीनों में ही माईमंडी के कारोबार में चार गुना बढ़ोतरी हो चुकी है। इसका राजस्व जुलाई, 2022 में 11 लाख रुपये था जो जनवरी, 2023 में बढ़कर करीब 60 लाख रुपये हो गया।
उन्होंने कहा, ‘‘मार्च के अंत तक इसका कारोबार बढ़ाकर 1.5-2 करोड़ रुपये पहुंचाने का हमारा इरादा है। इस तरह वित्त वर्ष का अंत हम 4.5-5 करोड़ रुपये के कारोबार के साथ करना चाहते हैं। अगले वित्त वर्ष में दिसंबर तक हमारी योजना पांच करोड़ रुपये मासिक कारोबार की है। हमें दिसंबर तक लाभ की स्थिति में पहुंचने की भी उम्मीद है।’’
केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के बेटे महाआर्यमन सिंधिया ने कहा कि इस साल की पहली छमाही में कंपनी की निवेशकों से आठ करोड़ रुपये जुटाने की भी योजना है। इसके लिए माईमंडी का उद्यमिता मूल्य करीब 150 करोड़ रुपये आंका जा रहा है।
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उन्होंने कहा कि निवेशकों से मिलने वाली पूंजी का इस्तेमाल बेहतर डेटा जुटाने और कारोबार वाले शहरों के बारे में समझ पैदा करने वाली प्रौद्योगिकी में किया जाएगा। उन्होंने कहा, ‘‘हमें उम्मीद है कि प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल से हमारा मार्जिन 15 प्रतिशत से 18 प्रतिशत तक सुधर जाएगा। इससे हमें दिसंबर तक लाभपरक होने में मदद मिलेगी।’’
माईमंडी के सह-संस्थापक 25 वर्षीय राणा ने कहा कि फर्म का नकद प्रवाह अच्छा है और नए शहरों में कारोबार विस्तार के लिए ही कंपनी को नई पूंजी की जरूरत है। कंपनी ने अभी तक निवेशकों से 4.2 करोड़ रुपये जुटाए हैं।
राणा ने कहा, ‘निवेशक यह जानकर अचरज में थे कि हम 4.2 करोड़ रुपये की पूंजी से ही पांच शहरों में विस्तार कर लेंगे। अब हम पांच शहरों तक पहुंच चुके हैं और जुटाई गई राशि का आधा हिस्सा अब भी हमारे खातों में मौजूद है।’’