

किसानों के मुद्दों को लेकर गैरकानूनी तौर पर जमा होकर धरना-प्रदर्शन के मामले में इंदौर की एक अदालत ने बृहस्पतिवार को कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव सत्यनारायण पटेल समेत पार्टी के 14 नेताओं को न्यायालय उठने तक की सजा सुनाई। इनमें से हरेक मुजरिम पर 10,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया।
इंदौर: किसानों के मुद्दों को लेकर गैरकानूनी तौर पर जमा होकर धरना-प्रदर्शन के मामले में इंदौर की एक अदालत ने बृहस्पतिवार को कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव सत्यनारायण पटेल समेत पार्टी के 14 नेताओं को न्यायालय उठने तक की सजा सुनाई। इनमें से हरेक मुजरिम पर 10,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया।
प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट (जेएमएफसी) सुरेश यादव ने पटेल और 13 अन्य कांग्रेस नेताओं को भारतीय दंड विधान की धारा 143 (विधिविरुद्ध जमाव में शामिल होना) के तहत दोषी करार दिया तथा उक्त सजा सुनाई।
अदालत ने 26 पेज के अपने फैसले में कहा,‘‘मुजरिमों द्वारा शांतिपूर्ण धरना-प्रदर्शन किए जाने के तथ्य को दृष्टिगत रखते हुए उन्हें कारावास की सजा से दंडित किया जाना उचित प्रतीत नहीं होता है।’’
‘‘अदालत उठने तक की सजा’’ का मतलब यह होता है कि न्यायालय का समय समाप्त होने तक मुजरिम पूरे दिन अदालत से बाहर नहीं जा सकता।
पटेल, देपालपुर क्षेत्र से कांग्रेस के विधायक रह चुके हैं। उनकी अगुवाई में देपालपुर कस्बे में 24 मार्च 2018 को किसानों के मुद्दों को लेकर धरना-प्रदर्शन किया गया था।
न्यायालय उठने तक की सजा पूरी करने के बाद पटेल ने संवाददाताओं को बताया कि यह धरना-प्रदर्शन न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर फसलों की सरकारी खरीद से पहले बैंकों द्वारा किसानों से कर्ज वसूली, प्राकृतिक प्रकोप से फसल बर्बाद होने पर किसानों को मुआवजा वितरण में देरी सरीखे मुद्दों को लेकर किया गया था।
कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव ने कहा, 'हम न्यायपालिका का सम्मान करते हैं और इसके हर आदेश को मानते रहेंगे। लेकिन लोकतंत्र में जनता के हितों को लेकर धरना-प्रदर्शन हमारा अधिकार है और हम इस सिलसिले में प्रजातांत्रिक रूप से संघर्ष करते रहेंगे।'
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