यूपी नगर निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट 27 दिसंबर को सुनायेगा फैसला

डीएन संवाददाता

उत्तर प्रदेश में नगर निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण के मामले को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में शनिवार को भी लगातार पांचवे दिन सुनवाई हुई। कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

यूपी नगर निकाय चुनाव पर हाईकोर्ट की लखनऊ बैंच में हुई सुनवाई
यूपी नगर निकाय चुनाव पर हाईकोर्ट की लखनऊ बैंच में हुई सुनवाई


लखनऊ: उत्तर प्रदेश में नगर निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण के मामले को लेकर शनिवार सुबह इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में लगातार पांचवें दिन सुनवाई हुई। कोर्ट ने शनिवार को फैसला सुरक्षित कर लिया है। कोर्ट अब 27 दिसंबर को इस मामले में फैसला सुनायेगा। शनिवार को कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलों को लगभग साढ़े पांच घंटे तक सुना और फैसले को सुरक्षित रख लिया।

डाइनामाइट न्यूज संवाददाता के मुताबिक 27 दिसंबर को छुट्टी का दिन है। कोर्ट ने दोनों पक्षों से पूछा कि क्या वे इस मामले में 27 दिसंबर को कोर्ट आ सकते हैं। इस पर दोनों पक्षों ने हामी भरी, जिसके बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख 27 दिसंबर को फैसला सुनाने को कहा।

जानकारी के मुताबिक कोर्ट ने दोनों पक्षों को ये भी बताया कि यह बेहद महत्वपूर्ण मामला है, इसलिये इसमें न तो जल्दबाजी की जा सकती है और न ही देरी। इसी कारण अदालत ने 27 दिसंबर को छुट्टी के दिन भी कोर्ट जारी रखने को कहा।

इससे पहले शुक्रवार शाम को हुई सुनवाई के बाद कोर्ट ने निकाय चुनाव के नोटिफिकेशन पर लगी रोक को चौथी बार एक दिन के लिये शनिवार तकर बढ़ा दिया था। 

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ लगातार पांच दिनों से निकाय चुनावों में आरक्षण के मामले पर सुनवाई कर रही है।  इससे पहले बुधवार से शुक्रवार तक कोर्ट में मामले को लेकर सुनवाई हुई थी लेकिन कोर्ट में हर दिन फैसला टल गया। इसके साथ ही हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने निकाय चुनाव के नोटिफिकेश पर लगी रोक को एक-एक दिन लिये बढ़ा दिया था।

इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ में आज भी दोनों पक्षों की बहस हुई, जिसके बाद अदालत ने नगरीय निकाय निर्वाचन से संबंधित स्टे को एक दिन यानी कल तक के लिए बढ़ा दिया था। 

अदालत के आदेश पर उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा आरक्षण को लेकर सोमवार को कोर्ट में जवाब दाखिल किया गया था। अपने इस जवाब में सरकार ने 2017 में हुए ओबीसी के सर्वे को आरक्षण का आधार माना। राज्य सरकार इसी आधार पर नगर निकाय में सीटों का आरक्षण भी जारी कर चुकी है। 










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