लखनऊ: निजी स्कूलों की मनमानी के खिलाफ लामबंद हुए अभिभावक

डीएन संवाददाता

शिक्षा का अधिकार कानून को लेकर जहां निजी स्कूलों ने आज भारत बंद कर रखा है वही निजी स्कूलों की मनमानी के विरोध में अभिभावक भी लामबंद हो गए हैं। सरकार से इन स्कूलों को स्थाई रूप से बंद करने की मांग की है।



लखनऊ: गरीब बच्चों को शिक्षा का अधिकार कानून के तहत निजी स्कूलों में दाखिला देने के सरकारी आदेश के बाद जहां एक ओर निजी स्कूलों ने भारत बंद कर रखा है, वहीं दूसरी ओर अभिभावक भी महिलाओं और बच्चों के साथ इन निजी स्कूलों की मनमानी के विरोध में सड़कों पर उतर आए हैं। अभिभावकों ने लखनऊ स्थित गांधी प्रतिमा पर महिलाओं और बच्चों संग स्कूलों की मनमानी पर रोक लगाने की सरकार से अपील की है।

कानून का मखौल उड़ाने का निजी स्कूलों पर लगाया आरोप

निजी स्कूलों पर लगाम लगाने के लिए प्रदर्शन कर रहे प्रवीण ने बताया कि निजी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता सरकारी स्कूलों से ठीक है या नहीं, इसका कोई भी प्रमाण नहीं है। इसके बावजूद निजी स्कूलों में 25% दुर्बल आय वर्ग के बच्चों के दाखिले को लेकर यह स्कूल हमेशा हीला-हवाली करते रहे हैं।

गौरतलब है कि अनिवार्य शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 के तहत 25% दुर्बल आय वर्ग के बच्चों को निजी स्कूलों में दाखिला देना अनिवार्य किया गया है। साथ ही इसका लाभ पाने वाले बच्चे की उम्र 6 से 14 वर्ष के बीच में होनी चाहिए और वह उस स्कूल के पड़ोस में रहता हो। मगर निजी स्कूलों की यह शिकायत रहती है कि उन्हें इन बच्चों की फीस सरकार की ओर से समय पर नहीं मिल पाती है, जिससे उन्हें आर्थिक तौर पर नुकसान झेलना पड़ता है।

योगी सरकार ने निजी स्कूलों में दुर्बल आय वर्ग के बच्चों को दाखिला देने के नियम में सख्ती दिखाई  है। इसी के विरोध में आज निजी स्कूलों ने बंद कर रखा है। अब देखने वाली बात यह होगी कि इस मामलें में सरकारी सख्ती के खिलाफ निजी स्कूलों का आज भारत बंद और अभिभावकों द्वारा इसके विरोध में लखनऊ के सड़कों पर उतरना। पूरे मामले में सरकार क्या फैसला लेती है और इससे शिक्षा का अधिकार कानून के तहत लाभ पाने की उम्मीद रखने वाले परिवारों को फायदा मिलता है या नहीं।
 










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