इस केस में एलजी सक्सेना को मिली व्यक्तिगत पेशी से छूट, जानें क्या है मामला

दिल्ली की एक अदालत ने उप राज्यपाल वी के सक्सेना को मानवाधिकार कार्यकर्ता मेधा पाटकर की ओर से दर्ज कराए गए मानहानि के एक मामले में अगले आदेश तक व्यक्तिगत तौर पर पेश होने से छूट दी। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

Post Published By: डीएन ब्यूरो
Updated : 8 June 2023, 1:06 PM IST
google-preferred

नयी दिल्ली: दिल्ली की एक अदालत ने उप राज्यपाल वी के सक्सेना को मानवाधिकार कार्यकर्ता मेधा पाटकर की ओर से दर्ज कराए गए मानहानि के एक मामले में अगले आदेश तक व्यक्तिगत तौर पर पेश होने से छूट दी।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट गौरव दहिया ने कहा कि सक्सेना ने दो अर्जियां दाखिल की हैं: एक में व्यक्तिगत पेशी से स्थाई तौर पर छूट का अनुरोध किया गया है और दूसरी में भारतीय संविधान के अनुच्छेद 361 (राष्ट्रपति, राज्यपाल और राष्ट्रप्रमुखों की सुरक्षा) के तहत बचाव का अनुरोध किया है।

अदालत ने कहा कि वर्तमान मामला दक्षिणपूर्व जिले में लंबित सबसे पुराने मामलों में से एक है और शिकायतकर्ता (मेधा पाटकर) के साक्ष्यों के लिए सूचीबद्ध है।

उसने कहा कि शिकायतकर्ता से 2019 में ही पूछताछ और जिरह कर ली गई है जबकि दो अन्य गवाहों से पूछताछ अभी बाकी है।

अदालत ने कहा, ‘‘ इस मामले में आरोपी दिल्ली के उप राज्यपाल जैसे प्रतिष्ठित पद पर आसीन है और इसलिए अहम संवैधानिक कर्तव्यों को देखते हुए तथा आरोपी के वकील ने कहा है कि किसी भी चरण में आरोपी की पहचान पर कोई विवाद नहीं होगा साथ ही उसने प्रत्येक तारीख पर नियमित तौर पर पेश होने की बात कही है।’’

इसने कहा कि इस चरण में अदालत के लिए सबसे प्रासंगिक विचार यह है कि वह किसी भी पक्ष के प्रति पूर्वाग्रही हुए बगैर सुनवाई को आगे बढ़ाए तथा अगर अर्जी मंजूर की जाती है तो शिकायतकर्ता को किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं हो।

अदालत ने दो जून के अपने आदेश में कहा, ‘‘.....आरोपी को अगले आदेश तक व्यक्तिगत पेशी से छूट दी जाती है।’’

उप राज्यपाल के अधिवक्ता ने कहा कि सक्सेना की प्रत्येक तिथि पर अदालत में उपस्थिति उनके महत्वपूर्ण संवैधानिक कर्तव्यों के कारण संभव नहीं है और यदि सक्सेना की व्यक्तिगत उपस्थिति के बजाय आरोपी के वकील के माध्यम से सुनवाई की अनुमति दी जाती है तो शिकायतकर्ता को कोई नुकसान नहीं होगा।

अदालत ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 11 अगस्त 2023 की तिथि निर्धारित की।

मेधा पाटकर ने 2000 में अपने खिलाफ और नर्मदा बचाओ आंदोलन के खिलाफ विज्ञापन प्रकाशित करने को लेकर सक्सेना के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया था। तब सक्सेना अहमदाबाद स्थित एक गैर सरकारी संगठन ‘‘नेशनल काउंसिल फॉर सिविल लिबर्टीज’’ के प्रमुख थे।

Published : 

No related posts found.