जिला अदालतों में बुनियादी ढांचे की कमी वास्तविक समस्या: ‘हाइब्रिड’ सुनवाई की याचिका पर उच्च न्यायालय

डीएन ब्यूरो

दिल्ली उच्च न्यायालय ने अधीनस्थ न्यायपालिका और अर्ध-न्यायिक निकायों में सुनवाई की ‘हाइब्रिड’ प्रणाली लागू करने की मांग वाली एक जनहित याचिका को बहाल करते हुए बुधवार को कहा कि यहां की जिला अदालतों में बुनियादी ढांचे की कमी एक वास्तविक समस्या है। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

दिल्ली उच्च न्यायालय
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नयी दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने अधीनस्थ न्यायपालिका और अर्ध-न्यायिक निकायों में सुनवाई की ‘हाइब्रिड’ प्रणाली लागू करने की मांग वाली एक जनहित याचिका को बहाल करते हुए बुधवार को कहा कि यहां की जिला अदालतों में बुनियादी ढांचे की कमी एक वास्तविक समस्या है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मिनी पुष्करणा की पीठ ने याचिका को बहाल करने के लिए दायर एक अर्जी इस आधार पर मंजूर कर ली कि दिल्ली सरकार द्वारा आवश्यक बुनियादी ढांचा उपलब्ध कराने के लिए कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया जा रहा है। अदालत ने जनवरी 2022 में इस याचिका का निपटारा कर दिया था।

पीठ ने कहा कि जिला अदालतों में कुछ न्यायाधीश अदालत के कर्मचारियों के मोबाइल फोन का इस्तेमाल करके ‘हाइब्रिड’ सुनवाई कर रहे हैं।

न्यायमूर्ति मनमोहन ने कहा, ‘‘अभी हो ये रहा है कि न्यायाधीश मोबाइल फोन पर सुनवाई कर रहे हैं। वे अपने कोर्ट स्टाफ का मोबाइल फोन ले रहे हैं और उसके जरिए हाइब्रिड सुनवाई से जुड़ते हैं। उन्होंने (याचिकाकर्ताओं ने) एक बहुत महत्वपूर्ण बात बताई है और हमें इस पर गौर करने की जरूरत है।’’

पीठ ने उच्च न्यायालय के अधिकारियों से तीस हजारी अदालत परिसर में जिला न्यायाधीश के अदालत कक्ष का दौरा करने को कहा, जहां ‘हाइब्रिड’ सुनवाई के लिए एक ‘सेट-अप’ बनाया गया है।

इसने कहा, ‘‘जिला न्यायाधीश के कमरे को काफी अच्छी तरह से बनाया गया है और इसे अन्य सभी अदालतों में दोहराए जाने की जरूरत है। इसे एक मॉडल के रूप में लें और इसे अन्य अदालतों में दोहराया जाए। यदि आप इसे 31 मार्च, 2024 तक पूरा कर सकें, तो यह बहुत अच्छा होगा।’’

चूंकि याचिका की बहाली की अर्जी का दिल्ली उच्च न्यायालय के प्रशासनिक पक्ष और दिल्ली सरकार के वकील ने विरोध नहीं किया, इसलिए अदालत ने इसे एक महत्वपूर्ण मुद्दा बताते हुए मंजूर कर लिया।

केंद्रीय परियोजना समन्वयक अभिलाष मल्होत्रा ने पीठ को सूचित किया कि लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) ने ‘हाइब्रिड’ सुनवाई पर एक परियोजना रिपोर्ट प्रस्तुत की थी, जिसकी उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल कार्यालय के अनुरोध पर राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) द्वारा पड़ताल की गई थी।

उन्होंने कहा कि अगस्त में, एनआईसी ने पीडब्ल्यूडी से दिल्ली सरकार के सूचना प्रौद्योगिकी विभाग से अनुमोदन प्राप्त करने के बाद रिपोर्ट प्रस्तुत करने का अनुरोध किया। हालांकि, तब से कोई प्रगति नहीं हुई है और पीडब्ल्यूडी बिना किसी कारण के परियोजना में देरी कर रहा है।

पीठ ने दिल्ली सरकार से आवश्यक कदम उठाने को कहा। पीठ ने उच्च न्यायालय के वकील से सुनवाई की अगली तारीख 11 जनवरी से पहले अद्यतन स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने को कहा।










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