Satyapal Malik: सत्यपाल मलिक को हिरासत में लेने को लेकर दिल्ली पुलिस का बड़ा बयान, जानिये पूरा मामला

डीएन ब्यूरो

पुलिस ने शनिवार को कहा कि उसने जम्मू कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक को दक्षिण-पश्चिम दिल्ली के आर के पुरम इलाके से हिरासत में नहीं लिया है। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

समर्थकों के साथ आरके पुरम थाने में सत्यपाल मलिक
समर्थकों के साथ आरके पुरम थाने में सत्यपाल मलिक


नयी दिल्ली: पुलिस ने शनिवार को कहा कि उसने जम्मू कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक को दक्षिण-पश्चिम दिल्ली के आर के पुरम इलाके से हिरासत में नहीं लिया है।

पुलिस उपायुक्त (दक्षिण-पश्चिम) मनोज सी ने कहा, ‘‘हमने पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक को हिरासत में नहीं लिया है। वह अपने समर्थकों के साथ आर के पुरम थाने में अपनी इच्छा से आए थे और हमने उन्हें सूचित किया कि वह अपनी इच्छा से जा सकते हैं।’’

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एक अन्य अधिकारी ने कहा, ‘‘आर के पुरम के एमसीडी पार्क में एक बैठक होनी थी और मलिक को इसमें हिस्सा लेना था। उन्हें बताया गया कि यह बैठक करने की जगह नहीं है और न ही उन्होंने संबंधित अधिकारियों से कोई अनुमति ली थी, जिसके बाद मलिक और उनके समर्थक वहां से चले गए और बाद में पूर्व राज्यपाल खुद थाना आए।’’

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक दिल्ली पुलिस ने ट्विटर पर कहा कि मलिक की हिरासत के बारे में झूठी खबर फैलाई जा रही है। एक ट्वीट में कहा गया, ‘‘सत्यपाल मलिक को हिरासत में लेने के संबंध में कई सोशल मीडिया हैंडल पर गलत सूचना फैलाई जा रही है। वह खुद आर के पुरम थाना अपने समर्थकों के साथ पहुंचे। उन्हें सूचित किया गया कि वह अपनी मर्जी से जाने के लिए स्वतंत्र है।’’

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केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने मलिक से जम्मू कश्मीर में कथित बीमा घोटाले के सिलसिले में कुछ सवालों के जवाब मांगे हैं। सात महीने में यह दूसरी बार है जब विभिन्न राज्यों के राज्यपाल रह चुके मलिक से संघीय एजेंसी पूछताछ करेगी। बिहार, जम्मू कश्मीर, गोवा और अंत में मेघालय में राज्यपाल की जिम्मेदारी पूरी करने के बाद पिछले साल अक्टूबर में मलिक से सीबीआई अधिकारियों ने पूछताछ की थी।

मलिक द्वारा ‘‘द वायर’’ को एक साक्षात्कार दिए जाने के बमुश्किल एक हफ्ते बाद सीबीआई ने यह कदम उठाया। साक्षात्कार में मलिक ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के बारे में आलोचनात्मक टिप्पणी की थी, विशेष रूप से जम्मू कश्मीर से निपटने के संबंध में, जहां उन्होंने तत्कालीन राज्य के दो केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजन से पहले अंतिम राज्यपाल के रूप में कार्य किया था।










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