पानी के संकट का सामना करने पर जानें क्या बोले मुख्यमंत्री
केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने सोमवार को कहा कि राज्य में पिछले कुछ साल में पानी की उपलब्धता में कमी देखी गई है और इसलिए जल बजट आवश्यक हो गया था ताकि कीमती संसाधन का उचित उपयोग हो सके और इसकी बर्बादी पर भी रोक लग सके। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर
तिरुवनंतपुरम: केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने सोमवार को कहा कि राज्य में पिछले कुछ साल में पानी की उपलब्धता में कमी देखी गई है और इसलिए जल बजट आवश्यक हो गया था ताकि कीमती संसाधन का उचित उपयोग हो सके और इसकी बर्बादी पर भी रोक लग सके।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, सार्वजनिक जल बजट जारी किए जाने के बाद विजयन ने कहा कि 44 नदियों, झीलों, तालाबों, जलधाराओं और अच्छी बारिश के बाद भी राज्य के कई हिस्सों को गर्मियों में पानी की कमी का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा, 'इसलिए, पानी के उपयोग को संबंधित क्षेत्र में उसकी उपलब्धता के अनुसार विनियमित किया जाना चाहिए। इसीलिए पानी का बजट लाया गया है।’’
विजयन ने पश्चिमी घाट में सिंचाई नेटवर्क के जीर्णोद्धार के लिए ‘‘अब मुझे बहने दें’’ परियोजना के तीसरे चरण का उद्घाटन करने के बाद कहा, 'यह देश में अपनी तरह की पहली परियोजना है और अन्य राज्यों के लिए एक उदाहरण होगी।'
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उन्होंने कहा कि जल बजट की मंशा प्रत्येक क्षेत्र में पानी की जरूरतों और वहां पानी की उपलब्धता को ध्यान में रखना एवं उसके अनुसार इसके उपयोग को विनियमित करना है। उन्होंने कहा, 'इससे पानी की अनावश्यक बर्बादी के संबंध में लोगों में जागरूकता आएगी और इसके जरिए हम जल संरक्षण कर सकते हैं।'
मुख्यमंत्री की यह टिप्पणी काफी अहम है क्योंकि पिछले कुछ हफ्तों में केरल के कई हिस्सों में पानी की कमी के साथ ही सामान्य तापमान में वृद्धि दर्ज की गई है।
विजयन ने कहा कि हालांकि राज्य में हर साल अच्छी बारिश होती रही है, लेकिन पानी की उपलब्धता में कमी आ रही है। उन्होंने दावा किया कि इसके बाद भी केरल में पानी की उपलब्धता राष्ट्रीय औसत की तुलना में तीन गुना है।
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उन्होंने कहा कि पानी की उपलब्धता में कमी के कारणों में से एक 'हमारे कार्य और उपयोग' आदि हैं। उन्होंने कहा कि विगत में धान के खेतों में कई महीनों तक पानी जमा रहता था और इसके अलावा कई तालाब, झील, आर्द्रभूमि आदि भी थे लेकिन समय के साथ उनमें से कई समाप्त हो गए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि अधिक तालाब बनाने, जल धाराओं की रक्षा करने और अन्य जल निकायों के कायाकल्प के लिए काम चल रहा है और इसे स्थानीय स्व-सरकारी संस्थानों (एलएसजीआई) द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा था और उन्हें ही जल बजट को लागू करने की जिम्मेदारी दी गई है।