जामिया शिक्षक संघ को भंग करने के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर जानिये ये बड़ा अपडेट

डीएन ब्यूरो

दिल्ली उच्च न्यायालय ने जामिया मिल्लिया इस्लामिया के शिक्षकों के एक संघ को भंग करने के उसके आदेश को चुनौती देने वाली एक याचिका पर सुनवाई तय तिथि से पहले करने से बुधवार को इनकार कर दिया। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

दिल्ली उच्च न्यायालय ने जामिया मिल्लिया इस्लामिया
दिल्ली उच्च न्यायालय ने जामिया मिल्लिया इस्लामिया


नयी दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने जामिया मिल्लिया इस्लामिया के शिक्षकों के एक संघ को भंग करने के उसके आदेश को चुनौती देने वाली एक याचिका पर सुनवाई तय तिथि से पहले करने से बुधवार को इनकार कर दिया।

याचिकाकर्ता ने मामले की सुनवाई 19 सितंबर की बजाय जल्दी करने का अनुरोध किया था।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने कहा कि याचिकाकर्ता ने आवेदन में कोई कारण नहीं बताया कि इस मामले को अन्य मामलों की तुलना में विशेष तरजीह क्यों दी जाए।

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उच्च न्यायालय ने कहा, ‘‘याचिका में कोई कारण नहीं बताया गया है कि सुनवाई 19 सितंबर से पहले क्यों की जाए… इसका कोई कारण नहीं बताया गया है कि इस मामले को अन्य मामलों की तुलना में विशेष तरजीह क्यों दी जाए। आवेदन खारिज किया जाता है।’’

वकील अभिक चिमनी के माध्यम से दायर याचिका में जामिया टीचर्स एसोसिएशन को भंग करने के विश्वविद्यालय के आदेश पर रोक लगाने और इसके चुनाव कराने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया था।

उच्च न्यायालय ने याचिका खारिज कर दी और कहा कि दलीलें सुनवाई की अगली तारीख से पहले पूरी की जाएं और मामले पर 19 सितंबर को जिरह की जाएगी।

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उच्च न्यायालय ने 7 दिसंबर, 2022 को जामिया शिक्षक संघ के पूर्व अध्यक्ष अमीर आजम की याचिका पर नोटिस जारी किया था और प्रतिवादी विश्वविद्यालय से एसोसिएशन के संविधान की जांच के लिए गठित समिति की रिपोर्ट की एक प्रति सीलबंद लिफाफे में रखने को कहा था।

इसने विश्वविद्यालय को याचिका पर अपना जवाब दाखिल करने के लिए समय दिया था।

विश्वविद्यालय की ओर से पेश वकील प्रीतीश सभरवाल ने कहा था कि शिक्षक संघ को जामिया अधिनियम के अनुरूप होना चाहिए, और संघ के संविधान को देखने के लिए छह सदस्यीय समिति का गठन किया गया है और एक रिपोर्ट की प्रतीक्षा की जा रही है।










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