जानिये, मुंबई 26/11 आतंकी हमले की चश्मदीद गवाह की पीड़ा, तहव्वुर राणा को मृत्युदंड पर कही ये बातें

डीएन ब्यूरो

मुंबई में 26/11 के आतंकी हमलों में घायल हुई 24 वर्षीय एक युवती ने आरोपी तहव्वुर राणा के भारत प्रत्यर्पण के लिए अमेरिकी अदालत द्वारा बृहस्पतिवार को दी गई मंजूरी का स्वागत किया और कहा कि अगर उसे फांसी पर चढ़ा दिया जाता है या कठोर सजा दी जाती है तो उसे खुशी होगी। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

चश्मदीद गवाह देविका नटवरलाल
चश्मदीद गवाह देविका नटवरलाल


मुंबई:  मुंबई में 26/11 के आतंकी हमलों में घायल हुई 24 वर्षीय एक युवती ने आरोपी तहव्वुर राणा के भारत प्रत्यर्पण के लिए अमेरिकी अदालत द्वारा बृहस्पतिवार को दी गई मंजूरी का स्वागत किया और कहा कि अगर उसे फांसी पर चढ़ा दिया जाता है या कठोर सजा दी जाती है तो उसे खुशी होगी।

26 नवंबर 2008 को हुए मुंबई आतंकी हमले की सबसे कम उम्र की चश्मदीद गवाह होने का दावा करने वाली देविका नटवरलाल ने कहा कि राणा को भारत लाने और उसे जेल में रखने से कुछ नहीं होगा बल्कि उससे (आतंकी हमलों के बारे में) अधिक जानकारी इकट्ठा की जानी चाहिए। मुंबई में हुए इन हमलों के दौरान देविका मात्र नौ साल की थीं।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार देविका ने कहा कि हमले के दौरान छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (सीएसएमटी) पर, उनके दाहिने पैर में गोली लगी थी और उनके सामने कई लोग मारे गए थे।

राणा फिलहाल लॉस एंजिलिस की फेडरल जेल में बंद है।

नवंबर 2008 में लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादियों के हमलों के दौरान छह अमेरिकियों सहित कुल 166 लोग मारे गए थे।

कैलिफोर्निया स्थित एक अमेरिकी अदालत ने 2008 के मुंबई आतंकी हमलों के मामले में वांछित पाकिस्तानी मूल के कनाडाई व्यवसायी तहव्वुर राणा को भारत प्रत्यर्पित करने की अनुमति दे दी है। इस फैसले को भारत के लिए एक बड़ी जीत के रूप में देखा जा रहा है।

कैलिफोर्निया की सेंट्रल डिस्ट्रिक्ट कोर्ट की अमेरिकी मजिस्ट्रेट न्यायाधीश जैकलीन चूलजियान ने बुधवार को 48 पन्नों का आदेश जारी किया, जिसमें कहा गया कि भारत और अमेरिका के बीच प्रत्यर्पण संधि के तहत राणा (68) को भारत प्रत्यर्पित करना चाहिए।

घटना को याद करते हुए देविका ने कहा, “आतंकी हमले में मुझे गोली लगी थी। मेरे सामने कई लोग मारे गए। मुझे पता चला है कि राणा को भारत लाया जाएगा। मैं खुश हूं, लेकिन मुझे ज्यादा खुशी तब होगी जब उसे फांसी दी जाएगी या उसके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी।”

उन्होंने कहा कि उसे यहां लाने और जेल में रखने से कुछ नहीं होगा। उन्होंने कहा कि उसके पास (आतंकवादी हमले से संबंधित) जो जानकारी है, वह सामने आनी चाहिए।










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