G-20 Summit Exclusive: जानिये उस कोणार्क चक्र की प्रतिकृति से जुड़ी खास बातें, जो जी-20 में बढ़ा रहा भारत मंडपम की शोभा

डीएन ब्यूरो

यह लोकतंत्र के पहिये का एक शक्तिशाली प्रतीक है, जो लोकतांत्रिक आदर्शों के लचीलेपन और समाज में प्रगति को लेकर प्रतिबद्धता दर्शाता है। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

भारत मंडमप में कोणार्क चक्र की प्रतिकृति
भारत मंडमप में कोणार्क चक्र की प्रतिकृति


नयी दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जी20 शिखर सम्मेलन स्थल ‘भारत मंडपम’ पहुंचे विश्व नेताओं से हाथ मिलाकर शनिवार को उनका स्वागत किया और इस दौरान पृष्ठभूमि में ओडिशा के पुरी स्थित सूर्य मंदिर के कोणार्क चक्र की प्रतिकृति ने स्वागत स्थल की शोभा बढ़ाई।

कोणार्क चक्र का निर्माण 13वीं शताब्दी में राजा नरसिम्हादेव-प्रथम के शासनकाल में किया गया था। कुल 24 तीलियों वाले इस पहिये को तिरंगे में भी दर्शाया गया है। यह चक्र भारत के प्राचीन ज्ञान, उन्नत सभ्यता और वास्तुशिल्प उत्कृष्टता का प्रतीक है।

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इस चक्र का घूमना ‘कालचक्र’ के साथ-साथ प्रगति और निरंतर परिवर्तन का प्रतीक है।

यह लोकतंत्र के पहिये का एक शक्तिशाली प्रतीक है, जो लोकतांत्रिक आदर्शों के लचीलेपन और समाज में प्रगति को लेकर प्रतिबद्धता दर्शाता है।

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प्रधानमंत्री मोदी विश्व के शीर्ष नेताओं की दो दिवसीय बैठक में शामिल होने के लिए शनिवार सुबह यहां स्थित जी20 शिखर सम्मेलन स्थल भारत मंडपम पहुंचे।

इस दौरान, विदेश मंत्री एस जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजित डोभाल सहित अन्य अधिकारी उनके साथ थे।










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