Architectural Heritage of India: जानिये भारत की उस स्थापत्य विरासत के बारे में जिसने जी20 समिट में मोहा विदेशी मेहमानों का मन

डीएन ब्यूरो

ओडिशा के 13वीं सदी के कोणार्क मंदिर से लेकर बिहार के प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय तक यहां जी20 शिखर सम्मेलन स्थल में भारत की समृद्ध स्थापत्य विरासत को प्रमुखता से पेश किया गया। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

जी20 समिट में नालंदा विश्वविद्यालय की झलकी
जी20 समिट में नालंदा विश्वविद्यालय की झलकी


नयी दिल्ली: ओडिशा के 13वीं सदी के कोणार्क मंदिर से लेकर बिहार के प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय तक यहां जी20 शिखर सम्मेलन स्थल में भारत की समृद्ध स्थापत्य विरासत को प्रमुखता से पेश किया गया।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार रात ‘भारत मंडपम’ स्थल पर विभिन्न राष्ट्राध्यक्षों और अन्य विश्व नेताओं और उनके जीवनसाथियों के लिए एक औपचारिक रात्रिभोज में मेहमानों का स्वागत किया जहां यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थल-प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय की प्रतिकृति प्रमुखता से नजर आई।

नालंदा विश्वविद्यालय दुनिया के सबसे प्राचीन विश्वविद्यालयों में से एक है। मेहमानों का अभिवादन करते समय प्रधानमंत्री मोदी को ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक सहित जी20 के कुछ नेताओं को विश्वविद्यालय के महत्व के बारे में बताते हुए भी देखा गया।

अधिकारियों ने कहा कि नालंदा विश्वविद्यालय विविधता, योग्यता, विचार की स्वतंत्रता, सामूहिक शासन, स्वायत्तता और ज्ञान साझाकरण का प्रतिनिधित्व करता है - ये सभी लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों के अनुरूप हैं।

उन्होंने कहा कि नालंदा भारत की उन्नत शैक्षिक खोज की स्थायी भावना और भारत के जी20 प्रेसीडेंसी थीम वसुधैव कुटुंबकम के अनुरूप एक सामंजस्यपूर्ण विश्व समुदाय के निर्माण की प्रतिबद्धता का जीता जागता प्रमाण है।

शाम के स्वागत समारोह की पृष्ठभूमि में नालंदा था, तो सुबह में भारत का कोणार्क चक्र फोकस में रहा। प्रधानमंत्री ने भारत मंडपम में शिखर सम्मेलन की शुरुआत से पहले जी20 नेताओं का अभिवादन किया तो पृष्ठभूमि में ओडिशा के कोणार्क सूर्य मंदिर की एक सुंदर छवि दिखी।

13वीं शताब्दी में निर्मित कोणार्क का सूर्य मंदिर यूनेस्को का विश्व धरोहर स्थल है। इसका निर्माण राजा नरसिम्हादेव प्रथम के शासनकाल में किया गया था। 24 कड़ियों वाला कोणार्क चक्र भी भारत के राष्ट्रीय ध्वज में समाहित है और यह भारत की प्राचीन ज्ञान, उन्नत सभ्यता और वास्तुशिल्प उत्कृष्टता का प्रतीक है।

यूनेस्को की वेबसाइट के अनुसार बंगाल की खाड़ी के तट पर, उगते सूरज की किरणों से नहाया हुआ कोणार्क का मंदिर सूर्य देवता के रथ का प्रतिनिधित्व करता है। इसके 24 पहियों को प्रतीकात्मक डिजाइनों से सजाया गया है और इसे छह घोड़े खींचते हैं।

अधिकारियों ने कहा कि कोणार्क चक्र की घूमती गति, समय, ‘कालचक्र’ के साथ-साथ प्रगति और निरंतर परिवर्तन का प्रतीक है। यह लोकतंत्र के पहिये के एक शक्तिशाली प्रतीक के रूप में कार्य करता है जो लोकतांत्रिक आदर्शों के लचीलेपन और समाज में प्रगति के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

‘मायगॉवइंडिया’ ने शनिवार को सोशल मीडिया ‘एक्स’ पर प्रधानमंत्री मोदी द्वारा विश्व नेताओं के स्वागत अभिनंदन का एक वीडियो पोस्ट किया, जिसका शीर्षक था ‘जी20 के नेताओं का अभिवादन - कोणार्क का कालचक्र केंद्र में आया।’

भारत मंडपम में भी कई कलाकृतियां लगाई गई थीं, जिसमें ‘सूर्य द्वार’ प्रमुख था। इसमें सूर्य देव के घोड़ों को भी दर्शाया गया है।

संस्कृति मंत्रालय ने भारत की सांस्कृतिक विरासत के साथ-साथ अन्य जी20 सदस्य देशों के लिए शिखर सम्मेलन कक्ष के सामने स्थापित ‘संस्कृति गलियारे’ में सांस्कृतिक विरासत का जश्न मनाया गया है।

विशेष रूप से बड़े अवसर के लिए बनाए गए इस अस्थायी ‘कला गलियारे’ में कलाकृतियों को प्रत्यक्ष और डिजिटल रूपों में प्रदर्शित किया गया।

पाणिनी के व्याकरण ग्रंथ ‘अष्टाध्यायी’, ऋग्वेद शिलालेख और मध्य प्रदेश में भीमभेटका गुफा चित्रों की डिजिटल छवियां, जो लगभग 30,000 साल पुरानी हैं, को भी प्रदर्शित किया गया।

संस्कृति मंत्रालय ने शनिवार को एक वीडियो के साथ ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘ जब भारत ऐतिहासिक जी20 शिखर सम्मेलन के लिए विश्व नेताओं का स्वागत करने की तैयारी कर रहा है, भारत मंडपम में सांस्कृतिक गलियारा वैश्विक विरासत के प्रमाण और वसुधैव कुटुंबकम में विश्वास के उत्सव के रूप में खड़ा है, इस उल्लेखनीय प्रदर्शन का गवाह बनें।’’

मंत्रालय ने एक अन्य पोस्ट में नटराज की 27 फुट ऊंची प्रतिमा सहित परिसर के विभिन्न कला तत्वों को साझा किया और कहा, ‘‘यह महामंडपम हमारी महान सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासतों को दर्शाता है।’’










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