Jammu & Kashmir: लाल सिंह को धनशोधन मामले में अदालत से नहीं मिली राहत, ईडी हिरासत पांच दिन और बढ़ाई

डीएन ब्यूरो

जम्मू-कश्मीर के पूर्व मंत्री लाल सिंह को यहां की एक अदालत ने धनशोधन के एक मामले में मंगलवार को पांच और दिन के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की हिरासत में भेज दिया। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

जम्मू-कश्मीर के पूर्व मंत्री लाल सिंह
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मंत्री लाल सिंह


जम्मू:  जम्मू-कश्मीर के पूर्व मंत्री लाल सिंह को यहां की एक अदालत ने धनशोधन के एक मामले में मंगलवार को पांच और दिन के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की हिरासत में भेज दिया।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार डोगरा स्वाभिमान संगठन पार्टी (डीएसएसपी) के अध्यक्ष सिंह की अग्रिम जमानत याचिका एक विशेष अदालत ने खारिज कर दी थी, जिसके कुछ घंटों के बाद उन्हें सात नवंबर को चावडी इलाके में सैनिक कॉलोनी स्थित उनके आवास से गिरफ्तार किया गया था।

प्रवर्तन निदेशालय सिंह की पत्नी और पूर्व विधायक कांता अंदोत्रा ​​द्वारा संचालित एक शैक्षणिक न्यास के खिलाफ दर्ज एक मामले की जांच कर रहा है।

विशेष लोक अभियोजक अश्विनी खजूरिया ने कहा कि सिंह की सात दिन की हिरासत की अवधि समाप्त होने पर उन्हें वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से मंगलवार को विशेष अदालत के समक्ष पेश किया गया।

खजूरिया ने अदालत के आदेश के हवाले से कहा, ‘‘मामले की जांच प्रारंभिक चरण में है... आरोपी एक गंभीर और गैर-जमानती अपराध में शामिल है। उसे 14 से 18 नवंबर तक केवल पांच दिन की अवधि के लिए ईडी की हिरासत में भेजा जाता है।’’

अदालत ने प्रवर्तन निदेशालय को 18 नवंबर को डिजिटल माध्यम से ही आरोपी को पेश करने का आदेश दिया और जांच अधिकारी को जांच में तेजी लाने का भी निर्देश दिया।

खजूरिया ने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय ने आरोपी की गिरफ्तारी के बाद की जमानत याचिका को लेकर जम्मू के प्रधान सत्र न्यायाधीश की अदालत में विस्तृत रिपोर्ट दाखिल की है।

धन शोधन का यह मामला अक्टूबर 2021 में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की ओर से आरोपपत्र दाखिल करने से जुड़ा है, जिसमें जम्मू- कश्मीर कृषि सुधार अधिनियम, 1976 की धारा 14 के तहत लगाई गई 100 मानक कनाल की अधिकतम सीमा के उल्लंघन के संबंध में विवरण का उल्लेख किए बिना चार जनवरी से सात जनवरी 2011 के बीच जमीन के दस्तावेज में हेरफेर के लिए आपराधिक मिलीभगत का आरोप लगाया गया था। इससे न्यास को अनुचित आर्थिक लाभ मिला।










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