DN Exclusive VIDEO: जानिये, कोरोना संकट के समय यूपी में बेरोजगारी की चुनौती से निपटने के लिये सरकार का प्लान

डीएन ब्यूरो

कोरोना संकट ने समाज और सरकार को एक साथ कई चुनौतियों से जूझने के लिये मजबूर कर दिया है। रोजगार भी इनमे से एक है। यूपी के अपर मुख्य सचिव, MSME, निर्यात प्रोत्साहन, खादी एंव ग्रामोद्योग नवनीत सहगल ने लखनऊ में डाइनामाइट न्यूज से खास बातचीत कर सरकार की योजनाओं से पर्दा उठाया। पढिये, स्पेशल रिपोर्ट

नवनीत सहगल, अपर मुख्य सचिव, यूपी सरकार
नवनीत सहगल, अपर मुख्य सचिव, यूपी सरकार


लखनऊ: कोरोना का यदि संकटों का पिटारा कहा जाए तो यह कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में कोरोना काल में बेरोजगारी को कम करना और प्रवासियों समेत हर आदमी के लिये रोजगार के साधनों का सृजन करना सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती है। इस चुनौती से निपटने के लिये योगी सरकार की रणनीति को जानने के लिये डाइनामाइट न्यूज ने प्रदेश के अपर मुख्य सचिव एमएसएमई, निर्यात प्रोत्साहन, खादी एंव ग्रामोद्योग नवनीत सहगल से खास बातचीत की। नवनीत सहगल से जानिये, यूपी सरकार की बेरोजगारी को खत्म करने की रणनीति..

डाइनामाइट न्यूज से बातचीत में नवनीत सहगल कहते हैं कि कोरोना काल में बढते बेरोजगारी के आंकड़े परेशान करने वाले हैं। लेकिन इन सबके बीच भी यूपी सरकार अपने घर-गांव को लौटे प्रवासी कामगारों को उनके स्किल के हिसाब से रोजगार उपलब्ध कराने का प्रयास कर रही है। अब तक यूपी में 30 करोड़ से अधिक कामगारों की स्किल मैपिंग का काम हो चुका है और इन्हें विभिन्न उद्योगों में भेजने का काम भी शुरू हो चुका है। इसके अलावा मनरेगा भी सरकार के लिए एक बड़े संकटमोचक के रूप में सामने आया है। जिसमें बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार दिलाने की संभावना है।

डाइनामाइट न्यूज से बातचीत में सहगल ने कहा कि पिछले दिनों पीएम द्वारा 'आत्मनिर्भर उत्तर प्रदेश रोजगार अभियान' की शुरूआत यूपी के 31 जिलों में पीएम मोदी द्वारा की गई है। इससे भी रोजगार के अवसर बढे हैं।

प्रदेश के अपर मुख्य सचिव ने बताया कि यूपी में लघु उद्योग भारती, फिक्की जैसी संस्थाओं की मदद से अब तक 1.35 लाख प्रवासी मजदूरों को अद्यौगिक संस्थाओं में काम पर भेजा जा चुका है। वही विश्वकर्मा श्रम सम्मान, एक जनपद-एक उत्पाद जैसी योजनाओं के तहत चयनित व्यक्तियों को प्रशिक्षण दिलाकर उनके लिए बैंको से लोन का इंतजाम कराया गया है। जिससे वे अपना खुद का कारोबार शुरू कर सकें। इससे स्वरोजगार को बढ़ावा देकर नौकरियों के भी अवसर तैयार किये जा रहे हैं।

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री योगी द्वारा 56 हजार करोड़ रुपए के ऋण भी नई अद्यौगिक इकाइयों को स्थापित करने के लिए वितरित किये गये हैं। जिनमें 1.35 लाख इकाइयां शामिल हैं। साथ ही उद्योगों के प्रसार के लिए बड़ी संख्या में ऋण के लिए आवेदन सूक्ष्म, मध्यम एंव लघु उद्योग विभाग (msme) के पास आये हैं। उनके लिए कैंप लगाने की तैयारी की जा रही है। इसमे सभी जिलों के जिला उद्योग अधिकारी अपने-अपने तैनाती वाले जिलों में उद्यमियों की समस्यायें सुनकर उनका निराकरण कर रहे हैं। जिसमें कानपुर, गाजियाबाद, लखनऊ जैसे जिलों के अफसर भी शामिल हैं।

कोरोना संक्रमण काल के बीच उद्योगों में छंटनी और बंदी जैसी समस्याओं पर बोलते हुये प्रमुख सचिव एमएसएमई नवनीत सहगल ने बताया की अब तक विभागीय प्रयासों से लाकडाउन की अवधि में भी कामगारों के वेतन के रूप में 2 हजार करोड़ रुपये का भुगतान कराया जा चुका है। हमारा प्रयास है कि उद्योगों को बढावा देने के साथ ही कामगारों को रोजगार मिल सकें।इसके लिए सभी स्तरों पर सारे प्रयास जारी हैं।

गौरतलब है कि संयुक्त राष्ट्र की संस्था अन्तरराष्ट्रीय श्रम संगठन की एक रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना संक्रमण की वजह से अप्रैल से जून तक 30 करोड़ कामगारों की नौकरियां जाने की बात कही है।  वही इससे दुनिया भर के 1.6 अरब लोगों पर इसका अप्रत्यक्ष प्रभाव भी पड़ेगा। जो दुनिया की कुल 3.3 अरब कामगारों का लगभग आधा है।

लगभग 24 करोड़ के करीब आबादी वाले यूपी में अब तक 38 करोड़ प्रवासी दूसरे राज्यों से यूपी लौट चुके हैं। सरकार द्वारा सभी को रोजगार के असवर उपलब्ध कराने के प्रयास किये जा रहे हैं। ऐसे में सरकार द्वारा रोजगार के लिये किये गये इंतजाम कितने कारगर होंगे, इस सवाल का सटीक जबाव भविष्य दे पायेगा। 
 










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