Chinab Railway Bridge: वादियों के बीच बेहद कठिन था चिनाब रेलवे पुल बनाना, जानिये कैसे संभव हुआ ये, पढ़िये इससे जुड़े कीर्तिमान

DN Bureau

कश्मीर घाटी को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ने के लिए चिनाब नदी पर विश्व का सबसे ऊंचा रेलवे पुल का निर्माण कार्य इंडियन रेलवे (Indian Railways) द्वारा किया गया है। इस पुल के नाम कई कीर्तिमान दर्ज हैं। डाइनामाइट न्यूज़ की इस रिपोर्ट में पढ़िये इस पुल से जुड़ी कुछ अनसुनी बातें

चिनाब रेलवे पुल (फाइल फोटो)
चिनाब रेलवे पुल (फाइल फोटो)


नई दिल्ली: रेलवे के इंजीनियरों (Railway Bridge) ने फाइनली 13 अगस्त 2022 को चेनाब नदी पर बनने वाले रेलवे आर्क ब्रिज के मेहराब के दोनों ऊपरी डेक को आपस में जोड़ दिया। इस अवसर पर वहां भारत का झंडा भी फहराया गया।

जाहिर है कि यह पुल रेलवे के लिए विशेष है। इसलिए वहां जश्न भी मना। रेल मंत्रालय का कहना है कि इस पुल को दिसंबर 2022 रेलवे ऑपरेशन (Railway Operation) के लिए खोला जा सकता है। मतलब कि इस पर रेलगाड़ी चलने लगेगी।

चिनाब पुल का भी विश्व रिकार्ड है। चिनाब रेल पुल आर्क (Arch) पुल की कैटेगरी में यह दुनिया का सबसे ऊंचा रेल पुल है। सिविल इंजीनियरों की मानें तो पुल कई तरीके से बनाए जाते हैं।

इन पुलों की कैटेगरी में शामिल

पुलों के वर्ग में आर्क ब्रिज (Arch Bridge), बीम ब्रिज (Beam Bridge), केबल स्टेड ब्रिज (Cable-stayed Bridge), कैंटिलीवर ब्रिज (Cantilever Bridge), सस्पेंशन ब्रिज (Suspension Bridge), ट्रस ब्रिज (Truss Bridge) और टायड आर्क ब्रिज (Tied Arch Bridge) होते हैं। दुनिया का सबसे ऊंचा दादुहे ब्रिज सस्पेंशन कैटेगरी का ब्रिज है।

2002 में हुआ था पास

चिनाब ब्रिज को बनाने के लिए साल 2002 स्वीकृति मिली थी। लेकिन इस पर काम शुरू होने में काफी समय लग गया। यदि सिर्फ निर्माण का ही साल गिना जाए तो तो करीब 18 साल तो लग ही गए।

डिजाइन की वजह से हुआ लेट

उत्तर रेलवे के अधिकारी बताते हैं कि इस पुलन के निर्माण में देरी की मुख्य वजह इसका डिजाइन बड़ा मुद्दा था। इसी वजह से बीच में इसका निर्माण कार्य रोक दिया गया था। इस पुल को बनाने वाला संगठन कोंकण रेलवे कारपोरेशन (KRCL) है। यह भी रेल मंत्रालय का ही एक संगठन है।

पुल की खास बातें

  1. यह पुल पेरिस के एफिल टावर से 35 मीटर ऊंचा और दिल्ली के कुतुब मीनार (Qutub Minar) से 5 गुना ऊंचा है।
  2. पुल की कुल लंबाई 1,315 मीटर है।
  3. इसके अलावा पुल की लाइफ 120 साल है।
  4. इसका डिजाइन ऐसे किया गया है कि यह 100 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड का तूफान भी झेल ले।
  5. पुल पर ऐसा पेंट किया गया है कि अगले 20 साल तक इसे फिर से रंगने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
  6. पुल की आठ की तीव्रता वाली भूकंप को भी सहने की क्षमता है. यह पुल 260 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से चलने वाली हवा को भी सह सकता है।
  7. यह भारत में किसी भी रेल परियोजना में सबसे बड़ी सिविल इंजीनियरिंग चुनौती थी, जिसे इंजीनियरों ने अंजाम तक पहंचाया है।
     









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