भारतीय विकेटकीपर इशान किशन ने टेस्ट क्रिकेट में बल्लेबाजी को लकेर की ये वकालात
भारतीय विकेटकीपर इशान किशन ने टेस्ट क्रिकेट में मैच की स्थिति के अनुसार बल्लेबाजी करने की वकालत करते हुए कहा कि उन्हें नहीं लगता कि हर पांच दिवसीय मैच में आक्रामक बल्लेबाजी करने की जरूरत है। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर
पोर्ट ऑफ स्पेन: भारतीय विकेटकीपर इशान किशन ने टेस्ट क्रिकेट में मैच की स्थिति के अनुसार बल्लेबाजी करने की वकालत करते हुए कहा कि उन्हें नहीं लगता कि हर पांच दिवसीय मैच में आक्रामक बल्लेबाजी करने की जरूरत है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार वेस्टइंडीज दौरे पर टेस्ट में पदार्पण करने वाले इशान ने दूसरे मैच की दूसरी पारी में आक्रामक बल्लेबाजी करते हुए 34 गेंद में नाबाद 52 रन बनाये थे। भारतीय टीम ने इस दौरान 7.54 के रन रेट से दो विकेट पर 181 रन बनाकर पारी घोषित की थी।
मैच के बाद किशन से जब तेजी से बल्लेबाजी करने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘‘ यह जरूरी नहीं है कि आप हर मैच में फटाफट क्रिकेट खेलने लगें। यह स्थिति पर निर्भर होना चाहिए। पिचों की परिस्थिति भी इसमें भूमिका निभाती है कि कोई कितनी तेजी से रन बना सकता है।’’
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मैच के चौथे दिन वेस्टइंडीज ने 365 रन के मुश्किल लक्ष्य का पीछा करते हुए दो विकेट पर 76 रन बनाए थे। पांचवां दिन पूरी तरह से बारिश की भेंट चढ़ गया।
इशान ने कहा, ‘‘ अगर आपको ऐसा विकेट मिलता है जहां आप तेजी से रन बना सकते हैं और टीम को इसकी जरूरत है तो इस (भारतीय) टीम में हर खिलाड़ी उस भूमिका को निभाने की क्षमता रखता है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ हमारे पास जिस तरह के खिलाड़ी हैं और हम जितने प्रारूपों और मैचों में खेलते हैं, हर कोई अपनी भूमिका जानता है कि किस मैच को किस तरह से खेलना है। व्यक्तिगत रूप से मुझे लगता है, हर मैच को इस तरह (आक्रामक बल्लेबाजी) खेलने की जरूरत नहीं है। यह मैच की परिस्थितियों पर निर्भर होना चाहिये।’’
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इशान को भारतीय टीम में जगह बनाने के लिए लंबे समय तक इंतजार करना पड़ा और जब उनसे इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘‘ मुझे लगता है कि हर खिलाड़ी का व्यक्तित्व अलग होता है। यह कुछ के लिए निराशाजनक हो सकता है, लेकिन अन्य खिलाड़ी इसे एक चुनौती के रूप में ले सकते हैं कि ‘मैं उस स्तर तक पहुंचने के लिए पर्याप्त प्रयास नहीं कर रहा हूं’।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ अगर किसी और को टीम में चुना जाता है और वह प्रदर्शन करता है तो मैं उसकी सराहना करता हूं क्योंकि मुझे पता है कि यह खेल कितना कठिन है, मानसिक रूप से आपकी परीक्षा कैसे होती है, जब इतनी उम्मीदें और दबाव हो तो वह प्रदर्शन करना कितना कठिन होता है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ इसलिए, जब भी मैं टीम से बाहर पर होता हूं या नहीं खेलता हूं तो मेरी कोशिश होती है कि मैं अपने अभ्यास पर ध्यान केंद्रित करूं ताकि जब भी मुझे मौका मिले, मैं अपना सर्वश्रेष्ठ दे सकूं।’’