डब्ल्यूटीओ मंत्रिस्तरीय बैठक में भारत इन मुद्दों पर जतायेगा चिंता, जानिये मीटिंग की खास बातें
भारत और दूसरे विकासशील देश अगले साल डब्ल्यूटीओ मंत्रिस्तरीय बैठक के दौरान जलवायु परिवर्तन तथा कार्बन कर जैसे मुद्दों पर यूरोपीय संघ (ईयू) के नियमों पर गंभीर चिंता जताएंगे। पढ़िए पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर
नयी दिल्ली: भारत और दूसरे विकासशील देश अगले साल डब्ल्यूटीओ मंत्रिस्तरीय बैठक के दौरान जलवायु परिवर्तन तथा कार्बन कर जैसे मुद्दों पर यूरोपीय संघ (ईयू) के नियमों पर गंभीर चिंता जताएंगे।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) का चार दिवसीय 13वां मंत्रिस्तरीय सम्मेलन अगले साल 26 फरवरी को अबू धाबी में होगा। मंत्रिस्तरीय सम्मेलन, डब्ल्यूटीओ की सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था है।
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एक अधिकारी ने कहा, ''ये मुद्दे डब्ल्यूटीओ में बड़े पैमाने पर उठाए जाएंगे। भारत जैसे देश डब्ल्यूटीओ में इन उपायों का विरोध करेंगे।'' यूरोपीय संघ ने इस साल जलवायु परिवर्तन और व्यापार पर चार नियम पेश किए हैं। इनमें कार्बन सीमा समायोजन तंत्र (सीबीएएम), वन-कटाई विनियमन और विदेशी सब्सिडी विनियमन शामिल हैं।
अधिकारी ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर बताया, ''यह मंत्रिस्तरीय बैठक में एक प्रमुख मुद्दा होगा। कई सदस्य देश पहले ही इनमें से कुछ नियमों के खिलाफ डब्ल्यूटीओ में कागजात जमा कर चुके हैं। ऐसा लगता है कि इन नियमों पर चर्चा होगी और आम राय भी बनेगी।''
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जिनेवा स्थित 164 सदस्यीय बहुपक्षीय निकाय डब्ल्यूटीओ का संबंध वैश्विक निर्यात और आयात-संबंधी मानदंडों से है। इसके अलावा, यह सदस्य देशों के बीच व्यापार विवादों का निपटारा करता है। शोध संस्थान ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) की एक रिपोर्ट के अनुसार, ईयू के वन-कटाई नियमों के कारण भारत से सालाना 1.3 अरब डॉलर मूल्य के कॉफी, चमड़ा और पेपरबोर्ड जैसे उत्पादों का निर्यात प्रभावित होगा।