डब्ल्यूएचओ प्रमुख ने भारत की पारंपरिक चिकित्सा पद्धति को लेकर दिया ये बड़ा बयान, जानिये क्या कहा

डीएन ब्यूरो

आयुर्वेद और योग जैसी पारंपरिक चिकित्सा पद्धति के ‘‘समृद्ध इतिहास’’ के लिए भारत की प्रशंसा करते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के महानिदेशक टेड्रोस अधानोम घेब्रेयेसस ने बृहस्पतिवार को इस प्राचीन औषधीय ज्ञान को विभिन्न देशों की राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रणाली में एकीकृत करने की आवश्यकता पर बल दिया। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

फ़ाइल फ़ोटो
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गांधीनगर: आयुर्वेद और योग जैसी पारंपरिक चिकित्सा पद्धति के ‘‘समृद्ध इतिहास’’ के लिए भारत की प्रशंसा करते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के महानिदेशक टेड्रोस अधानोम घेब्रेयेसस ने बृहस्पतिवार को इस प्राचीन औषधीय ज्ञान को विभिन्न देशों की राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रणाली में एकीकृत करने की आवश्यकता पर बल दिया।

घेब्रेयेसस गांधीनगर में पारंपरिक चिकित्सा पर डब्ल्यूएचओ के पहले वैश्विक शिखर सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे, जो महात्मा मंदिर सम्मेलन केंद्र में शुरू हुई जी20 स्वास्थ्य मंत्रियों की बैठक का हिस्सा था।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार उन्होंने कहा, ‘‘भारत में योग सहित आयुर्वेद के माध्यम से पारंपरिक चिकित्सा पद्धति का एक समृद्ध इतिहास है, जिसे दर्द को कम करने में प्रभावी पाया गया है। इस शिखर सम्मेलन का मुख्य परिणाम, ‘गुजरात घोषणापत्र’ राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रणालियों में पारंपरिक दवाओं के एकीकरण पर ध्यान केंद्रित करेगा और विज्ञान के माध्यम से पारंपरिक चिकित्सा की शक्ति को पेश करने में मददगार साबित होगा।’’

इस अवसर पर डॉ. घेब्रेयेसस ने ‘आयुष्मान भारत योजना’ के माध्यम से सभी को स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने के प्रयासों के लिए भारत की सराहना की।

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उन्होंने बुधवार को गांधीनगर में आयुष्मान भारत कल्याण केंद्र का दौरा किया था।

डब्ल्यूएचओ प्रमुख ने कहा कि केंद्र में उन्होंने देखा कि प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल स्तर पर पारंपरिक चिकित्सा पद्धति को कैसे एकीकृत किया जाता है।

घेब्रेयेसस ने प्रतिभागियों से विज्ञान और नवाचार के माध्यम से पारंपरिक चिकित्सा पद्धति की क्षमता को वैश्विक स्तर पर पेश करने के लिए शुरुआती बिंदु के तौर पर इस कार्यक्रम का उपयोग करने का आग्रह किया।

उन्होंने कहा, ‘‘पारंपरिक चिकित्सा उतनी ही पुरानी है, जितनी मानवता। इतिहास पर नजर डालें तो सभी देशों और संस्कृतियों में लोगों ने अपने इलाज के लिए पारंपरिक चिकित्सकों, उपचारों और प्राचीन दवाओं और औषधीय ज्ञान का उपयोग किया था।’’

बाद में दिन में, डॉ. घेब्रेयेसस ने ‘वन अर्थ वन हेल्थ - एडवांटेज हेल्थकेयर इंडिया 2023’ सम्मेलन के उद्घाटन समारोह में भाग लिया, जिसमें लगभग 70 देशों के प्रतिनिधि शामिल हुए।

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कार्यक्रम के दौरान डब्ल्यूएचओ प्रमुख ने बताया कि उन्होंने आयुर्वेद के बारे में तब पहली बार अपने भारतीय शिक्षकों से सुना था, जब वह इथियोपिया में एक छात्र थे।

इस अवसर पर उन्होंने भारत द्वारा ‘टेलीमेडिसिन’ को अपनाने पर भी प्रकाश डाला, जो न केवल स्वास्थ्य सेवा वितरण का विस्तार करता है बल्कि रोगियों के लिए समय और धन की भी बचत करता है।

घेब्रेयेसस ने कहा, ‘‘मैंने कल एक आयुष्मान भारत स्वास्थ्य केंद्र का दौरा किया था और मैंने देखा कि कैसे एक स्वास्थ्यकर्मी, केंद्र में बैठे मरीज के लिए, डॉक्टर से ऑनलाइन निर्देश लेने के लिए ‘टेलीमेडिसिन’ का उपयोग कर रहा था। यह वैश्विक स्तर पर किया जा सकता है। इससे उन मरीजों को मदद मिलेगी जो लंबी दूरी की यात्रा नहीं कर सकते।’’










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