भारत, ऑस्ट्रेलिया ‘असाधारण चुनौतियों’ के लिए संबंधों को और मजबूत करने पर सहमत हुए

डीएन ब्यूरो

भारत तथा ऑस्ट्रेलिया ने रक्षा सहयोग पर विशेष ध्यान देते हुए हिंद-प्रशांत क्षेत्र और दुनिया भर में ‘‘असाधारण चुनौतियों’’ से निपटने के लिए अपनी रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने का सोमवार को फैसला किया। पढ़िए डाईनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

संबंधों को और मजबूत करने पर सहमत हुए
संबंधों को और मजबूत करने पर सहमत हुए


नयी दिल्ली: भारत तथा ऑस्ट्रेलिया ने रक्षा सहयोग पर विशेष ध्यान देते हुए हिंद-प्रशांत क्षेत्र और दुनिया भर में ‘‘असाधारण चुनौतियों’’ से निपटने के लिए अपनी रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने का सोमवार को फैसला किया।

भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच दूसरी ‘टू प्लस टू’ मंत्रिस्तरीय वार्ता में दोनों देशों ने सूचना के आदान-प्रदान और समुद्री क्षेत्र में जागरूकता को लेकर सहयोग और बढ़ाने के महत्व को भी रेखांकित किया।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने दूसरे भारत-ऑस्ट्रेलिया ‘टू प्लस टू’ मंत्रिस्तरीय संवाद के तहत यहां ऑस्ट्रेलियाई उपप्रधानमंत्री एवं रक्षा मंत्री रिचर्ड मार्ल्स और विदेश मंत्री पेनी वोंग से मुलाकात की।

जयशंकर ने अपनी प्रारंभिक टिप्पणी में कहा कि भारत और ऑस्ट्रेलिया के द्विपक्षीय संबंध ऐसे समय में पिछले एक साल में तेजी से मजबूत हुए हैं, जब दुनिया में अनिश्चितता बढ़ रही है।

उन्होंने कहा, ‘‘हम बढ़ता ध्रुवीकरण, गहराता तनाव देख रहे हैं और आज क्षेत्र में लोगों को सुरक्षित महसूस कराने के लिए यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि नियमित रूप से कदम उठाए जाएं। इसलिए, हमें दैनिक आधार पर स्थिरता के लिए काम करना होगा।’’

मार्ल्स ने कहा कि भारत और ऑस्ट्रेलिया दोनों के लिए चीन सबसे बड़ा व्यापार भागीदार है और ‘‘सुरक्षा को लेकर सबसे बड़ी चिंता’’ भी है। उन्होंने दोनों देशों के साथ मिलकर काम करने की आवश्यकता को रेखांकित किया।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार उन्होंने समुद्री क्षेत्र में जागरूकता को लेकर सहयोग के महत्व पर जोर देते हुए कहा, ‘‘हम एक महासागर साझा करते हैं और इस अर्थ में हम पड़ोसी हैं तथा हमारे दोनों देशों के लिए मिलकर काम का इससे महत्वपूर्ण समय कभी नहीं हो सकता।’’

जयशंकर ने कहा कि भारत और ऑस्ट्रेलिया को ‘‘असाधारण चुनौतियों’’ का सामना करना पड़ता है और दोनों देशों के लिए इनसे निपटने की योजना बनाना महत्वपूर्ण है।

उन्होंने कहा कि ये मानव निर्मित चुनौतियां हो सकती हैं, ‘‘ये एचएडीआर (मानवीय सहायता और आपदा राहत) स्थितियां हो सकती हैं। ऐसे में यह महत्वपूर्ण है कि हमारे पास इनका सामना करने के लिए सहयोग की संस्कृति हो।’’

सिंह ने कहा कि भारत और ऑस्ट्रेलिया की साझेदारी न केवल दोनों देशों के लिए, बल्कि हिंद-प्रशांत की समग्र सुरक्षा के लिए भी “अच्छी” होगी।

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि रक्षा क्षेत्र विशेष रूप से भारत-ऑस्ट्रेलिया सामरिक साझेदारी के सबसे महत्वपूर्ण स्तंभों में से एक के रूप में उभरा है।

सिंह ने कहा, ‘‘हमारे प्रधानमंत्रियों की जब भी उच्चतम स्तर पर मुलाकात हुई है, चाहे वह शिखर स्तर की वार्ता हो या क्वाड (चतुष्पक्षीय सुरक्षा संवाद) एवं जी-20 जैसे बहुपक्षीय मंच हों, हमारे द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने की प्रतिबद्धता की पुष्टि की गई है।’’

इससे पहले मार्ल्स के साथ द्विपक्षीय बैठक में सिंह ने कहा कि एक मजबूत द्विपक्षीय रक्षा साझेदारी न केवल दोनों देशों के लिए, बल्कि हिंद-प्रशांत की समग्र सुरक्षा के लिए भी “अच्छी” होगी।

भारतीय रक्षा मंत्रालय द्वारा यहां जारी एक बयान के अनुसार, दोनों मंत्री इस बात पर सहमत हुए कि रक्षा उद्योग और अनुसंधान में सहयोग को गहरा करने से “पहले से ही मजबूत संबंधों को बढ़ावा मिलेगा”।

सिंह ने सुझाव दिया कि पोत निर्माण, मरम्मत और उसका रखरखाव तथा विमानों का रखरखाव, मरम्मत और उसका कायाकल्प (एमआरओ) सहयोग के संभावित क्षेत्र हो सकते हैं।

बयान में कहा गया कि नेताओं ने दोनों देशों के बीच रक्षा संबंधों को और मजबूत करने की प्रतिबद्धता दोहराई।

सिंह ने इस साल अगस्त में ऑस्ट्रेलिया द्वारा बहुपक्षीय अभ्यास ‘मालाबार’ के पहले और सफल आयोजन के लिए मार्ल्स को बधाई दी।

मंत्रालय ने कहा, “दोनों मंत्रियों ने द्विपक्षीय रक्षा संबंधों को और मजबूत करने की अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया। उन्होंने रक्षा क्षेत्र में संयुक्त युद्धाभ्यास, आदान-प्रदान और संस्थागत बात-चीत सहित दोनों देशों के बीच सैन्य क्षेत्र में बढ़ते सहयोग पर संतोष व्यक्त किया।”

अधिकारियों ने कहा कि दोनों पक्ष ‘हाइड्रोग्राफी’ सहयोग और हवा से हवा में ईंधन भरने के क्षेत्र में सहयोग को लेकर क्रियान्वयन व्यवस्था बनाने की बातचीत के अग्रिम चरण में पहुंच चुके हैं।

सिंह ने इस बात पर भी जोर दिया कि दोनों देशों की सेनाओं को “कृत्रिम बुद्धिमता, पनडुब्बी-रोधी और ड्रोन-रोधी युद्ध तथा साइबर जैसे प्रशिक्षण क्षेत्रों” में सहयोग पर भी ध्यान देना चाहिए।

इसमें कहा गया, “दोनों मंत्रियों के बीच पानी के भीतर प्रौद्योगिकियों के मामले में संयुक्त अनुसंधान में सहयोग पर भी विचार-विमर्श हुआ। दोनों देशों के बीच चुनौतियों का मिलकर समाधान करने सहित रक्षा स्टार्टअप में गठबंधन पर भी मंत्रियों के बीच चर्चा हुई।”

बयान में कहा गया, “दोनों मंत्रियों का मानना था कि मजबूत भारत-ऑस्ट्रेलिया रक्षा भागीदारी न केवल उनके आपसी फायदे के लिए, बल्कि समूचे हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए बेहतर रहेगी।”

ऑस्ट्रेलिया और भारत दोनों ‘क्वाड’ गठबंधन का हिस्सा हैं जो एक स्वतंत्र, खुला और समावेशी हिंद-प्रशांत सुनिश्चित करने की दिशा में काम करने पर केंद्रित है। क्वाड के अन्य दो सदस्य अमेरिका और जापान हैं।

सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, “मंत्री रक्षा और सुरक्षा, व्यापार एवं निवेश, महत्वपूर्ण खनिज, ऊर्जा, जलवायु परिवर्तन, विज्ञान व प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, शिक्षा तथा लोगों से लोगों के बीच संबंधों सहित बहुआयामी भारत-ऑस्ट्रेलिया संबंधों को गहरा करने पर विचारों का आदान-प्रदान करेंगे। क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दे भी एजेंडे में हैं।”

बैठक से पहले, वोंग और मार्ल्स ने अपने जीवन का बलिदान देने वाले शहीदों को सम्मान देने के लिए राष्ट्रीय समर स्मारक का दौरा किया।

वोंग ने ‘एक्स’ पर कहा, “भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच सैन्य संबंधों का एक लंबा इतिहास है - ऑस्ट्रेलियाई सैनिकों ने गैलीपोली सहित कई अभियानों में भारतीय सैनिकों के साथ लड़ाई लड़ी










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