नूंह में पुलिस अधिकारी को कुचलने की घटना: पुलिस कर्मियों के पास नहीं थे हथियार

डीएन ब्यूरो

हरियाणा के नूंह में पिछले साल जुलाई में अवैध खनन के खिलाफ छापेमारी के दौरान एक पुलिस अधिकारी को कुचल कर मार डाले जाने की घटना की जांच कर रहे एक आयोग ने पाया है कि घटना के समय किसी भी पुलिस अधिकारी के पास कोई हथियार, कारतूस आदि नहीं था। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

नूंह में पुलिस अधिकारी को कुचलने की घटना
नूंह में पुलिस अधिकारी को कुचलने की घटना


चंडीगढ़:  हरियाणा के नूंह में पिछले साल जुलाई में अवैध खनन के खिलाफ छापेमारी के दौरान एक पुलिस अधिकारी को कुचल कर मार डाले जाने की घटना की जांच कर रहे एक आयोग ने पाया है कि 'घटना के समय किसी भी पुलिस अधिकारी के पास कोई हथियार, कारतूस आदि नहीं था।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक अवैध खनन करने वालों के खिलाफ 19 जुलाई को छापेमारी के दौरान तावड़ू के पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) सुरेंद्र सिंह की मौत की परिस्थितियों की पड़ताल के लिए जांच आयोग का गठन किया गया था।

पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश एल एन मित्तल की अध्यक्षता वाले एक सदस्यीय जांच आयोग की रिपोर्ट हरियाणा विधानसभा में पेश की गई। राज्य विधानसभा के शीतकालीन सत्र का समापन मंगलवार को हुआ।

रिपोर्ट के मुताबिक, छापेमारी के वक्त डीएसपी के साथ सहायक उप निरीक्षक (एएसआई) संजय कुमार, कांस्टेबल अमित कुमार और एक अन्य पुलिसकर्मी उमेश कुमार भी थे।

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘...यह गौर करना भी महत्वपूर्ण है कि उस समय किसी भी पुलिस अधिकारी के पास कोई हथियार, कारतूस आदि नहीं था, जैसा कि एएसआई संजय कुमार, गवाह नंबर 1 (मामले में तीन गवाहों में से एक) ने कहा है।’’

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘यहां तक कि बंदूकधारी उमेश कुमार के पास भी कोई हथियार या कारतूस नहीं था क्योंकि उसे उक्त ड्यूटी उसी दिन सौंपी गई थी और इससे पहले कि वह कोई हथियार और कारतूस जारी करा पाता, डीएसपी ने उसे और अन्य व्यक्तियों को उसके साथ आने के लिए कहा।’’

रिपोर्ट के अनुसार, जब डंपर सवार या मोटरसाइकिल सवार अपने वाहनों को लेकर तेजी से भाग रहे थे तो पुलिस अधिकारी उन्हें पकड़ने के लिए कुछ नहीं कर सके।

रिपोर्ट में कहा गया है कि पुलिस अधिकारी उनका पीछा करने के लिए अपने वाहन का उपयोग नहीं कर सके क्योंकि रास्ते पर तेज रफ्तार डंपर से उतारे गए पत्थर बिखरे हुए थे।

आयोग के निष्कर्ष के अनुसार, तीन प्रत्यक्षदर्शियों - एएसआई कुमार, कांस्टेबल कुमार और उमेश कुमार के बयान हैं।

रिपोर्ट के अनुसार उस दिन रास्ते में पत्थर पड़े होने के कारण पुलिस दल अपने वाहन से उतर गया और आगे की ओर दौड़कर डंपर को रोकने का प्रयास किया।

रिपोर्ट के अनुसार पुलिसकर्मियों ने डंपर में सवार लोगों को नीचे उतरने के लिए कहा, लेकिन उन्होंने ऐसा करने से इनकार कर दिया और पुलिस अधिकारियों से कहा कि वे किनारे हो जाएं, अन्यथा वे उन्हें देशी पिस्तौल से गोली मार देंगे, जो उनमें से दो ने निकाल ली थी।

रिपोर्ट के अनुसार जब डंपर नहीं रुका तो पुलिस अधिकारी खुद को बचाने के लिए पीछे हटने लगे। रिपोर्ट के अनुसार डंपर में सवार लोगों और आगे जा रहे मोटरसाइकिल सवार दो व्यक्तियों ने डंपर चालक को पुलिस अधिकारियों पर गाड़ी चढ़ाने के लिए उकसाया। रिपोर्ट में कहा गया है कि इसके बाद डंपर चालक ने पुलिस अधिकारियों को कुचलकर मारने के इरादे से डंपर की गति तेज कर दी।

रिपोर्ट में कहा गया है कि संजय कुमार, अमित कुमार और उमेश कुमार ने एक तरफ कूदकर खुद को बचाया। रिपोर्ट के अनुसार सुरेंद्र सिंह ने भी एक तरफ भागकर खुद को बचाने की कोशिश की, लेकिन डंपर चालक ने जानबूझकर ट्रक की गति तेज करते हुए डीएसपी को टक्कर मार दी, जिससे उनकी मौत हो गई।

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘तदनुसार यह निष्कर्ष निकलता है कि डीएसपी सुरेंद्र सिंह की मृत्यु अवैध खनन गतिविधियों की पड़ताल करने और उन पर अंकुश लगाने के लिए छापेमारी के दौरान जानबूझकर डंपर द्वारा कुचल दिये जाने से हुई थी।’’

रिपोर्ट में कहा गया है, ''हालांकि, डंपर से कुचले जाने से पहले उनके साथ कोई मारपीट या हाथापाई नहीं हुई थी।''

इसमें यह भी कहा गया है कि इस घटना के संबंध में पुलिस द्वारा अभियोजन के लिए भेजे गए आरोपी व्यक्तियों की दोषसिद्धि संबंधित अदालत द्वारा निर्धारित की जाएगी।

आयोग ने ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने और भविष्य में उस क्षेत्र में अवैध खनन पर अंकुश लगाने के लिए 15 सुझाव भी दिए।

 










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