Health: अपर्याप्त जानकारी और लंबे समय तक दवाओं का सेवन गुर्दे के लिए घातक
अपर्याप्त जानकारी और लंबे समय तक दवाओं का सेवन गुर्दे (किडनी) के लिए घातक हो सकता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने शुक्रवार को यहां यह बात कही। उन्होंने कहा कि बीते कुछ वर्षों में गुर्दा रोगियों की संख्या लगातार बढ़ रही है और समय रहते इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो भविष्य में यह संकट गंभीर हो सकता है। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर
नयी दिल्ली: अपर्याप्त जानकारी और लंबे समय तक दवाओं का सेवन गुर्दे (किडनी) के लिए घातक हो सकता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने शुक्रवार को यहां यह बात कही। उन्होंने कहा कि बीते कुछ वर्षों में गुर्दा रोगियों की संख्या लगातार बढ़ रही है और समय रहते इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो भविष्य में यह संकट गंभीर हो सकता है।
नई दिल्ली में शुक्रवार को एमिल फार्मास्युटिकल्स द्वारा डिजिटल तौर पर आयोजित ‘किडनी मंथन 2.0’ में कई विशेषज्ञ शामिल हुए।
इस वेबिनार में बेंगलुरु के इंटरनल मेडिसिन विशेषज्ञ डॉ. प्रभु एस ने दवाओं से जुड़े गुर्दे संबंधी विकारों और उनके प्रबंधन के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि आमतौर पर लोग बिना चिकित्सक से परामर्श किए और इनसे होने वाले खतरों को महसूस किए बिना कई दवाओं को लंबे समय तक सेवन करते रहते हैं।
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नई दिल्ली के स्वामी विवेकानंद आयुर्वेदिक अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सक सत्या एन ने कई दवाओं की जानकारी देते हुए कहा कि इनका सेवन बिना चिकित्सक के परामर्श के नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि मरीजों को उन दवाओं को लेकर सावधानी बरतनी चाहिए जिनसे किडनी को नुकसान हो सकता है।
उन्होंने कहा कि चिकित्सकों को भी अपने मरीजों को इन दवाओं के लेकर जानकारी देनी चाहिए व साथ ही अपने परामर्श से इन्हें अलग रखे। डॉक्टर सत्या ने कहा कि आमतौर पर एक दवा के कई विकल्प मौजूद होते हैं। अगर विकल्प नहीं भी हो तो दवा की खुराक हल्की या सीमित अवधि तक के लिए रखनी चाहिए।
कई अध्ययनों का हवाला देते हुए डॉ. प्रभु एस ने कहा कि ‘पेन किलर’ से लेकर एंटीबायोटिक, एंटी बैक्टीरियल, एंटी फंगल, एंटी कैंसर, मनोरोग तक की दवाएं किडनी को क्षति पहुंचाती हैं। उन्होंने कहा कि ये दवाएं किडनी की कार्यप्रणाली, कोशिकाओं, फ्री रेडिकल्स की संख्या में इजाफा करके, सूजन पैदा करके किडनी को क्षति पहुंचाती हैं।
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एमिल फार्मास्युटिकल के कार्यकारी निदेशक डॉ. संचित शर्मा ने कहा कि किडनी सुरक्षा के लिए जरूरी है कि दवाओं के सेवन में बेहद सावधानी बरती जाए। वे दवाएं न लें या कम से कम लें जो किडनी को नुकसान पहुंचाती हैं। एमिल ने दवा नीरी केएफटी को गुर्दे के उपचार की वैकल्पिक दवा के रूप में पेश किया है।
विश्व किडनी दिवस (9 मार्च) के उपलक्ष्य में लोगों में गुर्दे के स्वास्थ्य के प्रति जागरुकता पैदा करने के लिए कंपनी ने छह दिवसीय वेबिनार का आयोजन किया है। इसमें राजस्थान, ओडिशा, मध्य प्रदेश, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु सहित कई राज्यों के जाने-माने विशेषज्ञ भाग ले रहे हैं।
विभिन्न अध्ययनों के अनुसार, हर साल भारत में एंड-स्टेज रीनल डिजीज (ईएसआरडी) के लगभग 2.2 लाख नए मरीज जुड़ते हैं, जिसके परिणामस्वरूप हर साल 3.4 करोड़ डायलिसिस की अतिरिक्त मांग होती है और इससे परिवारों के साथ-साथ स्वास्थ्य प्रणाली पर भी बोझ पड़ता है।