

डीजीपी साहब आपको यह खबर पढ़कर बेहद हैरानी होगी कि सीएम के गृह मंडल के जिले महराजगंज में पुलिसिंग को लेकर 2018 से जमे एसपी रोहित सिंह सजवान और 2017 से ताबड़तोड़ बैटिंग कर रहे एएसपी आशुतोष शुक्ला कितने गंभीर हैं? किस तरह ये दोनों विवादों को हैंडल कर रहे हैं कि एक के बाद एक हत्या की वारदात हो रही है लेकिन इनको कोई फर्क नहीं पड़ता, मानो कहीं कोई समस्या ही नहीं है। डाइनामाइट न्यूज़ एक्सक्लूसिव:
महराजगंज: एक सप्ताह पहले अलसुबह एसपी और एएसपी के कार्यालय के ठीक सामने वाली सड़क की पटरी के किनारे स्थित चौपरिया गांव में एक महिला की हत्या जमीनी विवाद में उसके पट्टीदार बेरहमी से कर डालते हैं। हत्या से पहले जमीनी रंजिश का पूरा मामला बाकायदे पुलिस के संज्ञान में था। फिर भी हत्या हो गयी? आखिर कैसे?
कुछ महीने पहले पुरंदरपुर इलाके में महिला जिला पंचायत सदस्य अमरावती देवी के पुत्र जितेन्द्र यादव का आपसी रंजिश में कत्ल बेरहमी से कर दिया गया। हत्या से दो महीने पहले भी हत्यारों ने जितेन्द्र पर जानलेवा हमला किया था लेकिन किसी तरह बच निकला। बचने के बाद महराजगंज पुलिस के दरवाजे पर चक्कर काट-काट थक गया लेकिन अफसरों ने प्रभावी कार्यवाही नहीं की। नतीजा अपराधियों के हौसले बुलंद होते हैं औऱ फिर दिनदहाड़े दस मिनट तक गोलियां बरसा दर्दनाक तरीके से हत्या कर दी जाती है। यह मामला काफी चर्चा में रहा था। आज भी नामजद एक अभियुक्त की गिरफ्तारी पुलिस नहीं कर पायी है। पीड़ित परिवार का हत्यारों के खौफ के मारे बाजार में निकलना भारी है।
ये दो मामले सिर्फ बानगी भर हैं। जिले भर में जितनी हत्याएं इस समय एसपी और एएसपी के राज में हो रही हैं, अधिकतर में विवाद से पुलिस वाकिफ है लेकिन इसके बाद भी या तो पुलिस कोई कार्यवाही नहीं कर रही है और यदि कर भी रही है तो पक्षपात पूर्ण तरीके से, जिसका नतीजा हत्या के रुप में सामने आ रहा है।
सही एफआईआर तक नहीं लिखी जा रही है? क्राइम मीटिंग जिले में रस्म अदायगी बनकर रह गयी है? केसों का पर्यवेक्षण किस तरह किया जा रहा है, यह सवालों के घेरे में है?
बड़े से बड़े संवेदनशील विवाद की सूचना इन दोनों के पास फरियादी लेकर पहुंच जाये लेकिन क्या मजाल कि किसी भी मामले में ये दोनों खुद पहल कर मामले की तहकीकात करने मौके पर जायें? सवाल यह कि जब बड़े अफसर खुद इतनी भयंकर लापरवाही करेंगे तो फिर थानेदार के कहने की क्या?
एसपी कार्यालय के ठीक सामने के गांव में मर्डर हो जाये, ये बेहद हैरान करने वाली बात है। फरेन्दा इलाके के बेहद चर्चित जितेन्द्र यादव मर्डर कांड की तहकीकात करने जब डाइनामाइट न्यूज़ की टीम मौका-ए-वारदात पर पहुंची तो यह जानकार हैरान रह गयी कि घटना के 5 माह बाद भी नामजद अभियुक्तों में से एक की गिरफ्तारी आज तक पुलिस नहीं कर पायी है। पीड़ित की पत्नी व मां को लगातार हत्यारे धमकी दे रहे हैं कि केस की पैरवी मत करो नहीं तो जान से हाथ धो बैठोगी। पुलिस ने थाना स्तर से दो सिपाही तैनात कर अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर ली है।
ये ऐसे सवाल है जिनका जवाब किसी के पास नहीं। नतीजा हत्या दर हत्या। कब रुकेगी जिले में ये खूरेंजी जंग? कोई नहीं जानता?
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