महराजगंज: बिना रजिस्ट्रेशन धड़ल्ले से चल रहे कई हॉस्पिटल, अल्ट्रासाउंड, पैथोलॉजी सेंटर..जिम्मेदार कौन

DN Bureau

फरेंदा क्षेत्र में बिना रजिस्ट्रेशन के कई हास्पिटल, अल्ट्रासाउंड, पैथोलॉजी सेंटर धड़ल्ले से चल रहे हैं। इनके पास न तो प्रशिक्षित चिकित्सक हैं और न ही स्वास्थ्य कर्मी। यहां तो अप्रशिक्षित डाक्टरों द्वारा जांच रिपोर्ट भी दी जा रही है। डाइनामाट न्यूज़ की रिपोर्ट..

फाइल फोटो
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फरेन्दा(महराजगंज): फरेंदा क्षेत्र में बिना रजिस्ट्रेशन के कई हास्पिटल, अल्ट्रासाउंड, पैथालाजी सेंटर धड़ल्ले से चल रहे हैं। इनके पास न तो प्रशिक्षित चिकित्सक हैं और न ही स्वास्थ्य कर्मी।  यहां तो अप्रशिक्षित डाक्टरों द्वारा जांच रिपोर्ट भी दी जा रही है। यहां बीमारियों के जानकारी के लिए खून, बलगम, यूरिन सहित अन्य जांच अप्रशिक्षित लोगों द्वारा ही की जा रही है। इतना ही नहीं अवैध रूप से चल रहे अल्ट्रासाउंड केंद्रों पर मनमाना पैसा भी वसूला जा रहा है, जिससे लोग आर्थिक शोषण के शिकार हो रहे हैं।

झोलाछाप डॉक्टर मरीजों की ले रहे जान

फरेंदा कस्बे से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में झोलाछाप डाक्टरों की दुकानें दिन-प्रतिदिन फल-फूल रही है। इन फर्जी डाक्टरों द्वारा मरीजों के जीवन से खुलेआम खिलवाड़ किया जा रहा है। इसके बावजूद स्वास्थ्य विभाग की निगाह इन पर नहीं पड़ रही है। आखिर पड़े भी क्यों, विभाग के कुछ जिम्मेदारों का संरक्षण जो इन पर है। हालत यह है कि हाई स्कूल इंटर की पढ़ाई करने वाले बड़े से बड़ें ऑपरेशन भी कर रहे हैं। चार छह माह काम सीखकर खुद तमाम लोग डाक्टर बन चुके हैं। यही वजह है कि चौराहे चौराहे डाक्टरों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। फर्जी डाक्टरों के लिए यह धंधा काफी लाभदायक है।

मरीजों को लुभाने के लिए बड़े- बड़े बोर्ड लगाकर सस्ता इलाज करने का दावा करते हैं। मरीज के पहुंचते दर्जन भर जांच शुरू कर देते हैं, जिससे मरीज को लगे कि उनका इलाज सही तरीके से किया जा रहा है। झोलाछापों का यह धंधा गांव-गांव चौराहे-चौराहे खूब फल-फूल रहा है। झोलाछापों के यहां एक्स-रे व अल्ट्रासाउंड की भी सुविधा रहती है। यह झोलाछाप पथरी, बच्चेदानी,  हाइड्रोसील रोगों से परेशान मरीजों का ऑपरेशन करने में जरा भी समय नहीं लगाते हैं। अब सवाल यह उठता है कि अगर यह धंघा इसी तरह से चलता रहे तो लोगों का क्या होगा, क्या कभी प्रशासन की नजर उनपर पड़ेगी या फिर लोग यूं ही इन झोलाछाप डॉक्टरों का आड़ में शोषण का शिकार होते रहेंगे। आर्थिक शोषण के अलावा मरीजों की जिंदगी के साथ भी खिलवाड़ हो रहा है। 










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