हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री ने संजौली-ढली सुरंग का लोकार्पण किया

डीएन ब्यूरो

हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने 47.36 करोड़ रुपये की लागत से बनी नवनिर्मित संजौली-ढली सुरंग का सोमवार को उद्घाटन किया। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री ने संजौली-ढली सुरंग का लोकार्पण किया
हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री ने संजौली-ढली सुरंग का लोकार्पण किया


शिमला: हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने 47.36 करोड़ रुपये की लागत से बनी नवनिर्मित संजौली-ढली सुरंग का सोमवार को उद्घाटन किया।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार सुक्खू ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर तंज कसते हुए कहा कि 154.22 मीटर लंबी सुरंग का निर्माण कार्य पिछली सरकार के कार्यकाल में धीमी गति से चल रहा था और कांग्रेस सरकार ने इस पर तेजी से काम किया और एक साल के भीतर निर्माण पूरा कर लिया गया।

एक बयान में सुक्खू के हवाले से कहा गया कि राज्य सरकार ने सभी विभागों को निर्देश दिया है कि हर परियोजना को समय पर पूरा करना सुनिश्चित किया जाए।

मौजूदा ढली सुरंग एक सिंगल लेन है और इसका निर्माण 1852 में किया गया था, ऐसे में इसकी मियाद पूरी हो चुकी है। सिंगल लेन होने से यहां हमेशा जाम जैसी स्थिति रहती है। नयी सुरंग में आवागमन शुरू हो जाने से यह समस्या दूरी हो जाएगी।

पर्यटन उद्योग हिमाचल प्रदेश के लिए सबसे प्रमुख है। ऐसे में बेहतर सड़क संपर्क पर्यटन के लिए काफी लाभकारी होता है। सुक्खू ने कहा कि कुफरी, नालडेहरा, तत्तापानी, नारकंडा और चैल जैसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों के मार्ग पर स्थित यह सुरंग पर्यटकों के सफर को आसान बनाएगी और क्षेत्र की आर्थिक वृद्धि में योगदान देगी।

सुरंग में शिमला के जातर जुलूस की विषय पर चित्रकारी भी की गई है, जिसकी परिकल्पना प्रोफेसर हिम चटर्जी द्वारा की गई है। उन्होंने इससे पहले दिल्ली में प्रगति मैदान के आसपास और 28,991 वर्ग मीटर के ‘इंटिग्रेटेड ट्रांजिट कॉरिडोर’ में भी भित्ति चित्र की रूपरेखा तैयार की थी।

चटर्जी ने कहा कि सुरंग को चित्रित करने में लगभग डेढ़ महीने का समय लगा।

उन्होंने बताया कि चित्रों में ‘‘पहाड़ी’’ नृत्य के एक महत्वपूर्ण स्वरूप चोल्टू नृत्य को दर्शाया गया है। यह नृत्य राज्य के ऊपरी क्षेत्रों जैसे ठियोग, रोहड़ू, रामपुर, कोटखाई में प्रचलित है, जिसे विशेष अवसरों पर स्थानीय देवताओं को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है।










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