खेड़ा जिले में सरेआम पिटाई पर हाई कोर्ट सख्त, दिए मजिस्ट्रेट जांच के आदेश

डीएन ब्यूरो

गुजरात उच्च न्यायालय ने खेड़ा जिले के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) को 2022 की घटना की जांच का आदेश दिया, जहां पथराव के आरोप में गिरफ्तार किए गए मुस्लिम समुदाय के कुछ सदस्यों की पुलिस ने सरेआम पिटाई की थी। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर

पुलिस ने सरेआम पिटाई
पुलिस ने सरेआम पिटाई


अहमदाबाद: गुजरात उच्च न्यायालय ने बुधवार को खेड़ा जिले के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) को 2022 की घटना की जांच का आदेश दिया, जहां पथराव के आरोप में गिरफ्तार किए गए मुस्लिम समुदाय के कुछ सदस्यों की पुलिस ने सरेआम पिटाई की थी।

न्यायमूर्ति ए एस सुपेहिया और न्यायमूर्ति एम आर मेंगडे की पीठ उन लोगों द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिनकी अक्टूबर 2022 में उंधेला गांव में एक गरबा कार्यक्रम में पथराव करने के आरोप में गिरफ्तार किए जाने के बाद पुलिस ने पिटाई की थी।

न्यायाधीशों ने कहा कि पुलिसकर्मियों के खिलाफ ‘अदालत की अवमानना’ की कार्यवाही के अनुरोध वाली याचिका तथ्यों के सत्यापन के बिना खारिज नहीं की जा सकती।

पीठ ने उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल को कथित घटना के वीडियो और तस्वीरों वाली एक पेन ड्राइव सीजेएम खेड़ा को भेजने का निर्देश दिया। अदालत ने कहा कि मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सामग्री का सत्यापन करेंगे और जांच के बाद तीन सप्ताह के भीतर प्रत्येक आरोपी (पुलिसकर्मी) की भूमिका को चिह्नित करते हुए एक व्यापक रिपोर्ट तैयार करेंगे।

न्यायाधीशों ने कहा कि सीजेएम रिपोर्ट को उच्च न्यायालय को भेजेंगे और सुनवाई आठ अगस्त तक के लिए स्थगित कर दी।

अक्टूबर 2022 में नवरात्र उत्सव के दौरान उंधेला गांव में गरबा (पारंपरिक नृत्य) कार्यक्रम पर मुस्लिम समुदाय के सदस्यों की भीड़ द्वारा कथित तौर पर पथराव किए जाने की घटना में कुछ ग्रामीणों के साथ-साथ पुलिसकर्मी भी घायल हो गए थे।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, इसके बाद, पथराव के आरोप में गिरफ्तार किए गए 13 लोगों में से तीन की पुलिसकर्मियों द्वारा पिटाई का वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आया था।

कुछ आरोपियों ने उच्च न्यायालय का रुख किया और दावा किया कि इस कृत्य में शामिल पुलिसकर्मियों ने उच्चतम न्यायालय के निर्देशों का उल्लंघन करके अदालत की अवमानना की है।










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