गोरखपुर: पुलिसिया संरक्षण में सरेआम गुंडई, पड़ोसी के गेट के बाहर चलवायी दीवाल, किया रास्ता बंद
पुलिस के संरक्षण में एक परिवार का हौसला इस तरह बढ़ गया है कि उसे अदालत के फैसले की भी परवाह नहीं रही। धनबल की ताकत वाले का पड़ोसी परिवार पर कहर जारी है और कई बार की लिखित शिकायत के बाद भी गोरखपुर पुलिस इस मामले में आंख मूंदे हुए है। पूरी खबर..
गोरखपुर: पुलिस की मिलीभगत और दबंगई के बल पर किसी को किस हद तक परेशान किया जा सकता है, इसका उदाहरण सीएम योगी आदित्यनाथ के गृह जनपद में देखा जा सकता है। गोरखपुर शहर के मोहद्दीपुर मोहल्ले में पुलिस के संरक्षण के चलते एक धनबली ने पड़ोस में रहने वाली महिला के घर के प्रवेश द्वार समेत घर के चारों ओर पक्की दीवाल बना डाली। दीवाल के कारण पीड़ित परिवार का घर के अंदर-बाहर जाना भी परेशानी का सबब बन गया है।
अदालत के आदेश की खुलेआम अवहेलना
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हैरान करने वाली बात यह है कि दबंग परिवार द्वारा इस चहार दीवारी का निर्माण अदालत के आदेशों के खिलाफ जाकर किया गया। इसके अलावा पुलिस का रवैया भी इस मामले में काफी हैरान करने वाला है। पीड़ित पक्ष लंबे समय से इस मामले में पुलिस से गुहार लगा रहा है। एसएसपी शलभ माथुर तक से जाकर मिला गया लेकिन नतीजा सिर्फ कोरा आश्वासन। कैंट थाने की पुलिस आंखें मूंदे हुए महज तमाशबीन बनी हुई है। पीड़ित पक्ष ने दीवार निर्माण के समय से ही पुलिस को अपनी लिखित शिकायत सौंपी थी, लेकिन मोहद्दीपुर चौकी इंचार्ज ने कुछ नही किया।
ये है आरोप
मोहद्दीपुर में रहने वाली मोहिनी पांडेय पत्नी सुदर्शन पांडेय ने डाइनामाइट न्यूज़ को मामले की जानकारी देते हुए बताया कि उनकी पड़ोसी कविता जालान और उसके परिवार वालों ने घर के चारों तरफ ऊंची चहार दीवारी बना कर उनका रास्ता बाधित कर दिया है। मोहिनी पांडेय का कहना है कि आरोपी के इस अवैध निर्माण के बाद उनका घर के बाहर-अंदर जाना भी मुश्किल हो गया है।
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पीड़ित पक्ष का कहना है कि आरोपी ने इस मामले में अदालत के आदेशों का भी घोर उल्लंघन किया है। पीड़िता ने डाइनामाइट न्यूज़ को बताया कि कुछ साल पहले भी उनके घर के बाहर आरोपी द्वारा अतिक्रमण की कोशिश की गयी थी, जिसके खिलाफ उन्होंने अदालत में याचिका दायर की। सिविल जज गोरखपुर की अदालत ने 26 जुलाई 2010 को उनकी इस याचिका पर सुनवाई करते हुए अगले निर्णय तक मामले में यथास्थिति बनाये रखने का आदेश जारी किया था लेकिन आरोपी ने अदालत के आदेश के दरकिनार करते हुए दबंगई और पुलिस के बल पर चाहरदीवारी का निर्माण करा दिया। यह मामला वर्तमान समय में सिविल जज जेडी (फास्ट ट्रैक) गोरखपुर की अदालत में विचाराधीन है।