कैसे हुई बृजेश की मौत.. सवालों के घेरे में जीआरपी और फतेहपुर पुलिस..

विश्व दीपक अवस्थी

फतेहपुर की पुलिस कप्तान यूं तो कई बड़े और चुनौतीपूर्ण जिलों में तैनात रह चुकी हैं.. क्राइम कंट्रोल में भी सूबे में उनकी अच्छी साख है लेकिन फतेहपुर उनसे संभल नही रहा..वजह है निकम्मे मातहत। हत्या, लूट, डकैती होती रहे.. एफआईआर लिखी जाती रहे.. लेकिन खुलासा किसी का नही..आखिर क्यों.. इस रहस्यमय सवाल का जवाब हर कोई जानना चाहता है? डाइनामाइट न्यूज़ की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट..



फतेहपुर: पुलिस कप्तान श्रीपर्णा गांगुली के मातहतों की कार्यप्रणाली इन दिनों पूरे जिले में चर्चा का विषय बनी हुई है। लगभग दो महीने पहले रेलवे ट्रैक से बरामद एक युवक के शव के मामले में नामजद एफआईआर दर्ज होने के बाद भी पुलिस अब तक किसी नतीजे पर नही पहुंच पायी है। 

ये है मामला

थरियांव थाना क्षेत्र के रामवा गांव के मजरे शहजादेपुर में रेलवे ट्रैक से बरामद शव की पहचान सदर कोतवाली क्षेत्र के मदारीपुर कला गांव के रहने वाला बृजेश कुमार के रूप में की गयी थी। पहले माना जा रहा था कि युवक हादसे का शिकार हुआ है लेकिन बाद में मृतक बृजेश के परिजनों ने उसकी हत्या की आशंका जतायी, जिसके बाद इस मामले में नया मोड़ आया। 

बृजेश की हत्या हुई या दुर्घटना?

इस सवाल को लेकर कई दिनों तक संशय बना रहा। परिजनों का आरोप है कि इस मौत को हादसे का रंग देने के इरादे से युवक का शव रेलवे ट्रैक के पास रखा गया। परिजनों द्वारा थाने और जीआरपी के चक्कर लगाने के बाद राजकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) ने 17 दिन बाद तीन लोगों के खिलाफ नामजद एफआईआर दर्ज की लेकिन पुलिस दो महीने के बाद भी अंधेरे में तीर चला रही है.. किसी नामजद पर कोई ठोस कार्यवाही अब तक नहीं दिख रही.. जिसे लेकर लोगों में काफी गुस्सा है।

फतेहपुर के सदर कोतवाली क्षेत्र के मदारीपुर कला गांव के रहने वाला बृजेश कुमार अपनी माँ चंद्रावती के साथ विगत 29 नवंबर को अपने रिश्तेदार के यहां शादी में रामवा गांव के शहजादेपुर गया था। 30 नवंबर को देर शाम रेलवे ट्रैक से उसका शव बरामद किया गया था।

डाइनामाइट न्यूज़ से बातचीत के दौरान मृतक बृजेश के भाई दिनेश ने बताया कि 30 नवंबर को शाम सात बजे उसकी बृजेश से फ़ोन पर बात हुई थी। बृजेश ने बताया था कि वह गांव के ही उमेश लोधी के साथ शौच के लिए गया है। दिनेश ने 15 मिनट बाद फिर अपने भाई बृजेश को फोन लगाया तो उसका फ़ोन बंद था। दूसरे दिन भी बृजेश के घर न आने पर दिनेश ने देर शाम शहजादेपुर के रिश्तेदार के यहां फ़ोन लगाया तो उन्होंने बृजेश के वहां न होने की बात कही। 2 दिसंबर को दिनेश जब अपने भाई को खोजता हुआ रामवा रेलवे स्टेशन पहुंचा तो रेलवे कर्मचारियों ने 1 तारीख को ट्रैक पर एक शव मिलने की बात कही। दिनेश को फतेहपुर पोस्टमार्टम हाउस में एक शव दिखाया गया, जो उसके भाई बृजेश का शव था। 

तो क्या इसलिए हुई बृजेश की हत्या? 

डाइनामाइट न्यूज़ से दिनेश का कहना है कि उसके भाई बृजेश पर धारा 376 का केस चल रहा था। तीन माह जेल में रहने के बाद वह जमानत पर बाहर था। दिनेश के मुताबिक गांव के रघुवीर ने बृजेश को झूठे केस में फंसाया था। दिनेश का शक है कि रंजिश के चलते ही बृजेश की हत्या कर दी गयी।

17 दिन बाद एफआईआर

दिनेश ने बताया कि फतेहपुर एसपी से लेकर जीआरपी और थरियांव थाने के अनगिनत चक्कर काटने के बाद जब उसने पुलिस महानिदेशक को पत्र लिखा तब जाकर जीआरपी ने 17 दिन बाद 18 दिसंबर को इस मामले में एफआईआर दर्ज की लेकिन उसके दो महीने के बाद भी जांच का कोई नतीजा नही निकला।

जीआरपी फतेहपुर ने कहा

इस मामले में डाइनामाइट न्यूज़ से बात करते हुऐ जीआरपी के एसओ अरविंद कुमार सरोज ने कहा कि मैं उस समय यहां नहीं था। 17 तारीख को मैं यहां आया। 18 दिसंबर को ऊपर से आदेश के बाद हमने तीन लोगों के ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज की है, जिसमें रघुवीर पुत्र भईया मदारीपुर कला, बादल पुत्र रघुवीर मदारीपुर कला और उमेश लोधी पुत्र रामपाल शहजादेपुर के नाम शामिल हैं। 

थानेदार ने कहा कोई आदेश नही मिला

थरियांव थानाध्यक्ष बिपिन सिंह का कहना है कि हमें अभी तक किसी भी प्रकार का आदेश नहीं मिला है। इस मामले में तीनों व्यक्ति अभी तक फरार थे। दावा है कि इनमें से दो को 15 दिन पहले मदारीपुर कला में देखा भी गया लेकिन उमेश लोधी का कुछ अता-पता नहीं है। 

जीआरपी और फतेहपुर पुलिस के विरोधाभासी बयान ने उलझायी जांच 

जीआरपी का कहना है कि 19 दिसंबर को एफआईआर की कॉपी को इलाहाबाद ऑफिस भेज दिया गया। लेकिन मृतक के भाई दिनेश के मुताबिक पुलिस अधीक्षक कार्यालय कहता है कि जीआरपी से उसे एफआईआर के संबंध में कोई कागजात नहीं मिले। ऐसी स्थिति में सिस्टम पर कई तरह के सवाल उठने स्वाभाविक है। मृतक बृजेश के परिजनों को अभी भी न्याय का इंतजार है। 

नागरिक पुलिस और जीआरपी के बीच पिस रहा है न्याय
रेलवे ट्रैक पर लाश मिली तो नागरिक पुलिस ने सीधे अपना पल्ला झाड़ लिया और कहा कि यह तो हमारे क्षेत्र का मामला ही नही है. अब मृतक का परिवार जीआरपी और फतेहपुर पुलिस के बीच फुटबाल की तरह झूल रहा है। 
 










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