महराजगंज: सरकारी अस्पतालों में व्यवस्थाओं के बावजूद भी निजी हॉस्पिटलों में मरीजों की भीड़, जानिये पूरी कहानी

डीएन संवाददाता

जनपद के विभिन्न कस्बों एवं ग्रामीण क्षेत्रों में अब भी नागरिकों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड किया जा रहा है। पढें डाइनामाइट न्यूज की खास रिपोर्ट

निजी हॉस्पिटलों मरीजों की भीड़ (सांकेतिक फोटो)
निजी हॉस्पिटलों मरीजों की भीड़ (सांकेतिक फोटो)


फरेंदा (महराजगंज): अक्सर इलाज के दौरान ऑपरेशन के केस बिगड़ने पर स्वास्थ्य महकमा नींद से जागता है और आनन-फानन में कार्रवाई के नाम पर कोरमपूर्ति कर कर्तव्यों की इतिश्री कर ली जाती है। जनपद के फरेंदा क्षेत्र के कस्बों एवं ग्रामीण क्षेत्रों में अब भी नागरिकों के स्वास्थ्य के साथ किए जाने वाले खिलवाड किया जा रहा है।

प्राइवेट हॉस्पिटलों में शिफट किये जाते हैं मरीज
नागरिकों को स्वास्थ्य लाभ पहुंचाने के लिए सभी संसाधनों से लेकर समुचित दवाओं, उन्नतशील जांच मशीनों का प्रबंध प्राथमिक एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर है। किंतु यहां मरीजों की भर्ती संख्या पर गौर करें तो तमाम चौकाने वाले तथ्य सामने आते हैं। सरकारी अस्पतालों में खाली बेड और प्राइवेट हास्पिटलों में नो एंट्री के बोर्ड इस बात की पुख्ता गवाही दे रहे हैं कि सरकारी हास्पिटल के मरीज प्राइवेट में कर्मचारियों की सांठगांठ से शिफ्ट कर दिए जाते हैं। 

आयुर्वेदिक डिग्री कर रहे एलोपैथ
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता को सूत्रों ने बताया कि जनपद में बिहार, झारखण्ड आदि प्रांतों से फर्जी आयुर्वेदिक चिकित्सा के डिग्रीधारक धडल्ले से एलोपैथिक दवाएं देने से लेकर आपरेशन तक की सुविधा मरीजों को दे रहे हैं। सूत्रों की मानें तो स्वास्थ्य विभाग से इनकी सांठगांठ है जिससे टीम के निरीक्षण की खबर इन्हें पहले ही प्राप्त हो जाती है। ऐसी दशा में बोर्ड हटाकर दो दिन या मामला शांत होने तक इनके हास्पिटलों पर ताला लगा रहता है। 

किराए के भवन में संचालन
भले ही स्थाई एवं निजी जमीनों के साथ ही पार्किंग सुविधा के नियम तय होने पर ही अस्पतालों के संचालन की अनुमति स्वास्थ्य विभाग द्वारा दिए जाने का प्रावधान निर्धारित हो परंतु जमीनी सच्चाईयां कुछ और ही बयां कर रही हैं।

हॉस्पिटलों में फायर सुविधा नहीं
नगर एवं आसपास के देहात क्षेत्रों में चल रहे अधिकतर हॉस्पिटलों पर अब तक फायर के संसाधन नहीं हैं। विश्वस्त सूत्रों की मानें तो कभी स्वास्थ्य विभाग की टीम आती भी है तो सुविधा शुल्क के सहारे बीच का रास्ता निकाल लिया जाता है। 

क्या कहते हैं अधीक्षक
इस बावत सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के अधीक्षक एम. पी. सोनकर का कहना है कि जिले से टीम आती है और समय-समय पर अवैध हास्पिटलों के निर्धारित बिंदुओं के कागजात चेक किए जाते हैं। निर्धारिक मानकों पर खरा न उतरने की दशा में कार्रवाई की जाती है। 










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