राऊ में पुराने चेहरों के बीच चुनावी जंग, भाजपा के सामने कांग्रेस का गढ़ ढहाने की चुनौती

डीएन ब्यूरो

मध्यप्रदेश के इंदौर जिले के राऊ क्षेत्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस की ओर से इस बार भी वे ही उम्मीदवार आमने-सामने हैं जो वर्ष 2018 के पिछले विधानसभा चुनावों में भिड़े थे। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

भाजपा के सामने कांग्रेस का गढ़ ढहाने की चुनौती
भाजपा के सामने कांग्रेस का गढ़ ढहाने की चुनौती


इंदौर: मध्यप्रदेश के इंदौर जिले के राऊ क्षेत्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस की ओर से इस बार भी वे ही उम्मीदवार आमने-सामने हैं जो वर्ष 2018 के पिछले विधानसभा चुनावों में भिड़े थे।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक कांग्रेस ने मौजूदा विधायक और पूर्व कैबिनेट मंत्री जीतू पटवारी (49) को इस क्षेत्र से लगातार चौथी बार मैदान में उतारा है, तो भाजपा ने अपने वरिष्ठ नेता मधु वर्मा (71) पर सतत दूसरी बार दांव लगाया है।

पटवारी ने वर्ष 2018 के पिछले विधानसभा चुनावों के दौरान वर्मा को 5,703 मतों के नजदीकी अंतर से हराया था। इंदौर के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों को समेटने वाली राऊ सीट पर 3.56 लाख मतदाता 17 नवंबर को उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला करेंगे।

इस सीट पर वर्ष 2008 से लेकर 2018 के बीच तीन बार चुनाव हुए हैं। 2008 के चुनावों में पटवारी को भाजपा उम्मीदवार जीतू जिराती के हाथों हार का सामना करना पड़ा था, जबकि 2013 और 2018 के चुनावों में पटवारी ने लगातार दो बार जीत हासिल की।

पटवारी को जीत की ‘हैट्रिक’ बनाने से रोकने के लिए भाजपा की ओर से चुनावी मोर्चा संभाल रहे वर्मा ने 'पीटीआई-भाषा' से बातचीत में आरोप लगाया कि पिछली कमलनाथ सरकार में कैबिनेट मंत्री रहने के बावजूद पटवारी राऊ क्षेत्र के मतदाताओं को बड़े सरकारी अस्पताल की बुनियादी सुविधा देने का वादा निभाने में नाकाम साबित हुए हैं। इंदौर विकास प्राधिकरण के पूर्व अध्यक्ष वर्मा का दावा है कि राऊ क्षेत्र का विकास प्रदेश की भाजपा सरकार की देन है।

उधर, पटवारी ने वर्मा का आरोप खारिज करते हुए कहा,‘‘राऊ, सूबे के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के परंपरागत निर्वाचन क्षेत्र बुधनी से भी ज्यादा विकसित है।’’

पटवारी ने वर्मा की उम्र पर इशारों ही इशारों में निशाना साधते हुए कहा,‘‘वर्मा मेरे पितातुल्य और अच्छे इंसान हैं, लेकिन भारतीय परंपराओं में स्पष्ट है कि एक वक्त के बाद घर के कामों की जिम्मेदारी बेटे को ही संभालनी पड़ती है और पिता केवल मार्गदर्शन करता है। मैं अपने पितातुल्य वर्मा से जीत का आशीर्वाद लूंगा।’’

पटवारी पर पलटवार करते हुए वर्मा ने कहा,‘‘जनहित के कामों का किसी व्यक्ति की उम्र से कोई ताल्लुक नहीं होता। मुझसे कम उम्र का होने पर भी पटवारी ने राऊ क्षेत्र के लोगों की चिंता नहीं की। यही वजह है कि मुझ जैसे पिता सरीखे व्यक्ति को चुनावी मैदान में आना पड़ा।'

पटवारी और वर्मा के बीच जारी जुबानी जंग के बीच राऊ के चुनावी रण में खेती-किसानी के मुद्दे भी अहम हैं क्योंकि इस क्षेत्र में किसान मतदाताओं की तादाद भी कम नहीं है। राऊ क्षेत्र के किसान राज्य सरकार की 3,200 एकड़ पर प्रस्तावित इंदौर-पीथमपुर आर्थिक गलियारा परियोजना के लिए खेती की उपजाऊ जमीन के अधिग्रहण का विरोध कर रहे हैं। यह इलाका आलू की खेती के लिए भी मशहूर है।

इन दिनों सिंदोड़ा गांव के अपने खेत में आलू की बुआई कर रहे किसान अतुल कुशवाह ने कहा,'राज्य सरकार इंदौर-पीथमपुर आर्थिक गलियारा परियोजना के नाम पर हमारी उपजाऊ जमीन मौजूदा बाजार मूल्य के मुकाबले बेहद कम मुआवजा देकर अधिग्रहित करना चाहती है ताकि इसे बड़े-बड़े उद्योगपतियों को दिया जा सके। हम इस अन्याय का विरोध करते हैं।'

कुशवाह ने कहा कि चुनावी बेला में पटवारी और वर्मा, दोनों प्रमुख उम्मीदवारों की ओर से किसानों को भरोसा दिलाया जा रहा है कि वे उनके साथ हैं और उनकी मर्जी के बगैर उनकी जमीन कतई नहीं लेने दी जाएगी। उच्च शिक्षित किसान ने कहा,'...पर चुनावों के बाद सरकार बनने पर कहीं कोई सुनवाई नहीं होती है और सभी राजनीतिक दल अपनी ही रोटियां सेंकते हैं।'

 










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